है डुबोने से बड़ा पार लगाने वाला’
‘रिपोर्ट- अलीम कशिश
रूदौली-(फैजाबाद) : अंजुमन तामीरे अदब के ज़ेरे एहतिमाम एक तरही शेरी नशिस्त का एनेकाद चेयरमैन जब्बार अली की आफिस (साबरी कालोनी) में किया गया। जिसकी सदारत चेयरमैन जब्बार अली ने की और निज़ामत के फरायज़ शकील रूदौलवी ने अदा किए। वहीं महमाने खुसूसी शाह सलमान मियाँ रहे।सभी शोराए किराम ने ‘अहमद फरायज़’ के इस मिस्रे पर तबा आज़माई की।
है कोई ख्वाब की ताबीर बताने वाला।
मौलाना रईसुस शाकरी ने अपने कलाम में कहा।
मंज़िले जां के मुसाफिर हैं खुदा खैर करे- राह खुद भूल गया राह दिखाने वाला।
शाहिद सिद्दीकी ने हम्दिया कलाम पढ़ा।
काश इंसान समझ सकता निज़ामे कुदरत- है डुबोने से बड़ा पार लगाने वाला।
काविश रूदौलवी ने अपनी गज़ल में कहा।
ख्वाब देखा है कि दुश्मन ने दुआऐं दी हैं- है कोई ख्वाब की ताबीर बताने वाला।
शकील रूदौलवी ने अपनी तहज़ीब के हवाले से शेर पढ़ा।
जिन्दा रहता है वह तारीख के ऐवानों में- अपनी तहज़ीब व तमद्दुन को बचाने वाला।
डॉ कमरूददीन ने हालात पर कहा।
आओ मिल जुलू के नई सुबह की तामीरे करें- काम वह करता रहे दीप जलाने वाला।
अलीम कशिश उल्फत की कमी का तज़किरा किया।
मेरे पैमाने में भी खूब छलकती थी कभी- जामें उल्फत नहीं अब कोई पिलाने वाला।
मुजीब रूदौलवी ने अपनी बात यूँ कही
सब्र का पेड़ बुढ़ापे में ही फल देता है- फल मगर खाता नहीं पेड़ लगाने वाला।
समीर मोनिस ने असातिज़ के ताअल्लु क से बातें की।
जब तलक उर्दू मुदर्रिस हैं जहाँ में मोनिस- आंख में गजलों के आँसू नहीं आने वाला।
सलीम हमदम ने गज़ल के शेर पढ़े।
राह आसान नहीं थी के मैं तुम से मिल ता- आज हम तुम जो मिले रबर है मि लाने वाला।
देर रात तक चली इस तरही नशिस्त में
नसीम प्रिंस ने पढ़ा।
तुझमें अब्दुल मुत्तलिब जैसा यकीं आ जाये तो- तेरी खातिर फिर अबाबीलों का लश्कर आयेगा।
नशिस्त में बिलखुसूस इश्तियाक अहम द, शाह मसऊद हयात गज़ाली, जमाल कुरैशी,शरीफ अहमद, समेत बड़ी ताय दात में सामईन हज़रात ने शिरकतकी। आखिर में चेयरमैन ने सभी का शुक्रिया अदा किया।