बाबरी मस्जिद मामले पर नहीं पड़ेगा इस्माइल फ़ारूक़ी केस का असर- मौलाना ख़ालिद रशीद
लखनऊ।सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खालिद रशीद ने कहा कि किसी मसले का हल किसी धार्मिक भावना से नहीं होगा, कानूनी तौर पर होगा. इस मसले का असर बाबरी मस्जिद के मामले पर नहीं पड़ेगा।29 अक्टूबर से बाबरी मसले की सुनवाई शुरू होगी।
अयोध्या रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद से जुड़े 1994 के इस्माइल फारूकी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और मुस्लिम धर्मगुरू मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि वह फैसले का एहतराम करते हैं।मस्जिद बनाने का मतलब ही नमाज पढ़ना होता है।उन्होंने कहा कि हम चाहते थे कि इस मसले को आगे सुना जाए।मामले को बड़ी बेंच को रेफर किया जाना चाहिए था।
खालिद रशीद ने कहा कि किसी मसले का हल किसी धार्मिक भावना से नहीं होगा, कानूनी तौर पर होगा।इस मसले का असर बाबरी मस्जिद के मामले पर नहीं पड़ेगा।29 अक्टूबर से बाबरी मसले की सुनवाई शुरू होगी।सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से तय हो गया है कि जल्द से जल्द राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में फैसला आ जाएगा।
उधर बाबरी केस के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि मुसलमान नमाज चाहे अंदर पढ़े या बाहर, मुसलमान पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।सुप्रीम कोर्ट के आज आए फैसले से जमीन विवाद को लेकर जो मुकदमा है, उस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।मुकदमा मंदिर और मस्जिद को लेकर है।नमाज को लेकर नहीं है।
बता दें अयोध्या रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद से जुड़े 1994 के इस्माइल फारूकी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला दिया।सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 2-1 के फैसले के हिसाब से कहा है कि अब ये फैसला बड़ी बेंच को नहीं जाएगा। इस केस के पक्षकारों ने केस को पांच सदस्यीय बेंच में ट्रांसफर करने की मांग की थी।
कोर्ट ने कहा कि इस्माइल फारूकी केस से अयोध्या जमीन विवाद का मामला प्रभावित नहीं होगा।ये केस बिल्कुल अलग है।अब इसपर फैसला होने से अयोध्या केस में सुनवाई का रास्ता साफ हो गया है।कोर्ट के फैसले के बाद अब 29 अक्टूबर 2018 से अयोध्या टाइटल सूट पर सुनवाई शुरू होगी। पीठ में तीन जज शामिल थे, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस नजीर।