करोड़ों की ठगी करने वाले के खिलाफ 21 एफआईआर दर्ज, पुलिस गिरफ्तार करने में नाकाम
पुलिस प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए पीड़ितों ने धरना देकर गिरफ्तारी और न्याय की मांग की
लखनऊ। (आरएनएस ) वैसे तो राजधानी लखनऊ की हाईटेक पुलिस आरोपियों को चंद मिनटों में ही गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचा देती है। लेकिन अगर कोई कद्दावर और पैसे वाला व्यक्ति हो तो उसके पास पुलिस जाने की भी हिम्मत नहीं उठाती है। यह बात सच है। क्योंकि ऐसा कहना है कुछ प्रदर्शनकारियों का जो अपने हक के लिए राजधानी लखनऊ के हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर रविवार को आवाज बुलंद कर रहे थे।
दरअसल मामला रियल एस्टेट से जुड़ा है। प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि एक रियलस्टेट के कारोबारी जिसका नाम आशीष श्रीवास्तव है। उसके खिलाफ अब तक 21 मुकदमे दर्ज हैं। लेकिन पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है। पीड़ितों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से न्याय की गुहार लगाते हुए आरोपी को गिरफ्तार करने की मांग की है। साथ ही यह भी मांग की है कि उनके साथ की करोड़ों की ठगी के मामले में उन्हें न्याय दिया जाए। उन्हें जमीन दी जाए तो उनके भूखंड पर निर्माण करा कर दिया जाए ताकि वह अपने परिवार को लखनऊ में रख सकें।
ब्लडप्रेशर के मरीज हो गए पीड़ित
प्रदर्शन कर रहे कई लोगों ने बताया कि वह पिछले सात आठ महीनों से आर संस इंफ्रा लैंड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा ठगे गए हैं। इसके जालसाजी और उचित साधन से पीड़ित काफी आहत हैं और लगातार न्याय के लिए प्रयासरत हैं। पीड़ितों ने कहा उन्होंने लखनऊ में घर का सपना देखा था। रिटायरमेंट के बाद जो पैसा मिला उसे इन्वेस्ट कर दिया। समय से क़िस्त दे रहे थे। लेकिन प्लाट न मिलने पर ठगी का एहसास हुआ तो उनके होश उड़ गए। अब सभी पीड़ितों को जान से मारने की धमकी मिल रही है। सभी बीपी के मरीज हो गए हैं। पीएफ का पैसा बेटियों की शादी में लग जायेगा तो उनके पास कुछ नहीं बचेगा। इसलिए वह आरोपी को गिरफ्तार कर प्लाट पर कब्ज़ा दिलाने की मांग कर रहे हैं।
ये लोग हैं ठगी के मास्टरमाइंड
पीड़ितों का कहना है कि बेहद आश्चर्यजनक बात ये है कि पुलिस और प्रशासन सहित समस्त तंत्र इसके मालिक आशीष श्रीवास्तव के समक्ष पंगु बना हुआ है। कंपनी का मैनेजिंग डायरेक्टर आशीष कुमार श्रीवास्तव ने अपने कार्यालय 3/17 विराट खंड गोमती नगर लखनऊ एवं कारपोरेट ऑफिस के सामने संजय गांधी पुरम फैजाबाद रोड लखनऊ से लोगों को जमीन प्लाट बेचने का धंधा शुरु किया और लगभग 5000 लोगों को 100 करोड रुपए का चूना लगाया। उनके पार्टनर अरुण श्रीवास्तव, अंकुर श्रीवास्तव, मनीष श्रीवास्तव, सचिन श्रीवास्तव, उमेश श्रीवास्तव, शिखा श्रीवास्तव, तबस्सुम, तरन्नुम, तरुण ने अब तक केवल 17 लोगों के अतिरिक्त ना ही किसी को दिया और ना ही किसी को उनके पैसे वापस किए।
लखनऊ से गोरखपुर तक जालसाजी का फैला है जाल
पीड़ितों का आरोप है कि आशीष लोगों को डरा धमका रहा है। यहां तक कि एक पीड़ित के घर में आधा दर्जन हथियारबंद गुंडे भेजे। बताया जा रहा है कि जमीन बेचने का धंधा लखनऊ से गोरखपुर तक फैला हुआ है। लखनऊ में इसकी परियोजनाएं देवा रोड पर ‘जीवन दीप’ , ‘प्रखर सिटी-1’, ‘जीवन प्रकाश’, सुल्तानपुर रोड पर ‘ग्रीन वैली’, प्रखर सिटी-2, ‘अर संस फार्म एंड रेजिडेंसी’, फैजाबाद रोड पर ‘आर संस स्टेट’, ‘एक्सप्रेस रेजीडेंसी’, तथा ‘संगम एन्क्लेव’, ‘सत्यम सिटी’, ‘उमा रमा अपार्टमेंट’ और गोरखपुर में ‘एक्सप्रेस रेजिडेंसी’ नाम की परियोजना चल रही है।
कई थानों में 21 एफआईआर दर्ज होने के बाद भी नहीं हुई गिरफ्तारी
आशीष ने लगभग 16 पीड़ितों को 2012 से भिन्न भिन्न दिनांकों में रजिस्ट्री की है। जिनके प्लाट कब्जा आज तक नहीं दिया गया है और तो और एक रजिस्ट्री का दाखिला भी फर्जी किया गया है।जिससे सिद्ध होता है कि निबंधन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की इसमें मिलीभगत है।पीड़ितों ने आरोप लगाते हुए बताया कि आरोपी के खिलाफ लखनऊ के गोमतीनगर, कैंट, हसनगंज, गाजीपुर थानों में करीब 21 मुकदमे दर्ज हैं। लेकिन पुलिस ने अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है। जिन पीड़ितों ने मुकदमा दर्ज कराया है। उनमें शिरोमणि पाठक, गिरीश वर्मा, रितेश गुप्ता, मधुसूदन, दलबीर सिंह चौहान, सरमन लाल, सर्वेश राय, अमिया रमण, रचना जैन, पवन कुमार मिश्रा, नीलम सिंह, हरिकेश, अशोक कुमार सिंह, प्रशांत किशोर श्रीवास्तव, महबूब आलम, सिद्धार्थ शंकर तिवारी, गीता मिश्रा, परवेश मिश्रा, जमुर्ता देवी, राहुल, कृष्ण पाल, सुनील दत्त शर्मा, जय प्रकाश राय सहित कई लोगों ने केस दर्ज कराये हैं।