उत्तर प्रदेशफ़ैज़ाबाद

मवई ब्लाक की सिक्षा व्यवस्था चल रही राम भरोसे , स्कूल में भरा पानी

 

रिपोर्ट सैदपुर से अंशुमान सिंह

सरकारी शिक्ष ब्यवस्था की खुली पोल शिक्षा क्षेत्र मवई के प्राथमिक विद्यालय सैमसी के देखें हाल ,हैंडपम्प की बोर का गड्ढा मौत को दे रहा दावत ।

अनुपस्थित शिक्षक परिसर मे भरा पानी छात्र घूम रहे मनमानी एक शिक्षक महोदय मौजूद लेकिन छात्रों से नहीं कोई सरोकार

सैदपुर-फैजाबाद। सरकारी शिक्षा ब्यवस्था कितनी दुरुस्त है इस बात का प्रमाण मवई शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय सैमसी मिलता है यहां कथित रुप से चार शिक्षक तैनात हैं जिसमे एक साहब मौके पर मौजूद हैं तो बाकी साहबों का पता ही नही है।

विद्याल़य परिसर मे जल भराव है हैंडपम्प की बोर के पास जान लेवा गडढा है यदि यह गडढा आंशिक रुप से बढ जाये तो कोई भी बच्चा काल के गाल मे समा सकता है लेकिन किसी को फिक्र नही है।यहां तैनात रसोइयां अपशब्द प्रयोग कर रही वीडियो मे साफ तौर से सुना जा सकता है।क्या इसी प्रकार से शिक्षा दी जाती है जब रसोइयां की जुबान फिसल सकती है तो छात्रों की भी जुबान फिसलती होगी।

रसोई घर तक मे भी पानी आता है यहां शिक्षा ब्यवस्था कितनी दुरुस्त है यह जानने के लिये और प्रमाण की आवश्यकता नही है।समाचार कवरेज के लिये पहुंचने पर वहां ये सब समस्यायें देखने को मिली यदि प्रत्यक्ष रुप से समाचार संकलन किया जाता तो रसोइयां की बदजुबानी सायद सुनने को नही मिलती भला हो उस ब्यक्ति का जिसने वीडियो बनाकर यहां के शिक्षा ब्यवस्था की पोल खोली।

निजी विद्यालयों की नकेल कसने के लिये पूर्ण रुपेण प्रतिबद्ध है लेकिन सरकार के विद्यालयों मे जो हो रहा है उस पर सरकार की नजर ही नही जा रही है।

यदि पत्रकार न्यूज कवरेज के लिये जाये तो शिक्षक महोदय भी नौकरी बचाने के लिये बहुत कुछ कर सकते हैं जैसा की करीब छेः सात माह पूर्व बघेडी गांव मे एक पत्रकार के साथ हो चुका है।यहां यह भी देखा जा सकता है कि मास्टर साहब बैठे हैं।

और छात्र मौज मस्ती मे खेल रहे हैं वाह रे शिक्षा विभाग।सोचनीय है की पैंतीस चालीस से लेकर पचास हजार रुपये तक वेतन लेने वाले आखिर यह शिक्षक करते हैं।

इन शिक्षकों की मगरुरी के कारण ही लोग मजबूर होकर अपने बच्चों को निजी स्कूलों मे पढाने को मजबूर होते हैं लेकिन जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नही उन बेचारों के बच्चे आखिर जायें तो कहां जायें।यही कारण है की गरीब और मजबूर के बच्चे उच्च शिक्षित नही हो पाते।ऱाम भरोसे सरकारी शिक्षा का कार्य हो रहा है।

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