उत्तर प्रदेशलखनऊ

लखनऊ मेहदवी समाज के क्लासेज में हज़रत ए खतीज – जतुल – कुबरा की वफात पर तकरीर

लखनऊ मेहदवी समाज के क्लासेज में हज़रत ए खतीज – जतुल – कुबरा की वफात पर तकरीर

लखनऊ मेहदवी समाज के सभी क्लासों में हज़रत ए खतीज – जतुल – कुबरा की वफात के मौके पर वक्त के इमाम की किदमत में तस्लियत पेश की गई तमाम असातीत में अपने अपने लेक्चर्स में हज़रत ए खतिज जतुल कुबरा की इस्लाम के साथ वफादारी के मुख्तलिफ पहलुओं पर गुफ्तगू की बीबी रसूल ए अकरम के साथ रह कर बराबर से इस्लाम के नशर और उसके फिरोग में शरीक थी आपकी वफात के मौके पर रसूल ए अकरम ने उस साल को आमूल हुस्न के नाम से ताबीर किया आपकी वफात के बाद मुख्तलिफ मौको पर रसूल ए अकरम जनाबे खतिज – जतुल – कुबरा की वफा और उनकी पायेदारी और इस्लाम की कीदमतो को याद करके गिरया फरमाया करते थे , हमारे बाज़ असातीत ने ये भी बताया की बाज़ मौके पर आपके किसी ज़ौजा ने एहतरास किया कि अल्लाह ने आपको उससे बेहतर बीवियां अता की हैं, उस पर रसूल ए अकरम ने फरमाया कि कौन खतीजा का मुकाबला कर सकता है उसने उस वक्त मेरा साथ दिया जब सबने हमको छोड़ दिया था वो उस वक्त मेरे ऊपर ईमान लाई जब कि लोग हमारा इनकार कर रहे थे जनाबे खतिज- जतुल- कुबरा की वफात पर आपकी बेटी जनाबे फातिमा जहरा ने कि जिनका सिन पांच साला था अपने बाप का दामन पकड़ कर के अपनी मां के बारे में सवाल किया तो अल्लाह की जानिब से जिबरील नाजिल होकर पैगाम ले कर के आए ऐ रसूल फातिमा से कह दीजिए की आपकी मां जन्नत के महल में जनाबे मरियम ओ, जनाबे हाजरा ओ सारा की हमनशीन हैं, इस बावफा रसूल ए अकरम की ज़ौजा की ज़िन्दगी के मुख्तलिफ पहलू आज समाज की अहम ज़रूरत है की जिस पर हमारे घर की खुवातीन अगर जनाबे खतिज – जतुल – कुबरा के किरदार को अपना ले तो हर घर जन्नत बन सकता है, आखिर में वक्त के इमाम की कीदमत में उनका पुरसा और इमाम की सलामती के लिए सभी सेंटर्स पर दुआ की गई

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