उत्तर प्रदेशलखनऊ

प्रवासी मजदूरों पर ऋण जाल व मानव तस्करी का खतरा उ0प्र0 में लौटे प्रवासी मजदूर सरकारी योजनाओं से वंचित ह्यूमन लिबर्टी नेटवर्क ने जारी की सर्वेक्षण रिपोर्ट

प्रवासी मजदूरों पर ऋण जाल व मानव तस्करी का खतरा उ0प्र0 में लौटे प्रवासी मजदूर सरकारी योजनाओं से वंचित ह्यूमन लिबर्टी नेटवर्क ने जारी की सर्वेक्षण रिपोर्ट

लखनऊ। समाज को मानव तस्करी से मुक्त बनाने के उद्देश्य के साथ कार्यरत सिविल सोसाएटी ऑर्गेनाइजेसंश (सीएसओ) के नेटवर्क, ह्यूमन लिबर्टी नेटवर्क (एचएलएन) ने उत्तर प्रदेश किए गए एक सर्वेक्षण के नतीजों के मुताबिक राज्य में वापस लौटे प्रवासी मज़दूर श्रमिकों की आजीविका, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच, पोषण और मूलभूत आवश्यकताओं से संबंधित प्रमुख चुनौतियां सामने आयी है। यह चुनौतियां उनके लिए ग्रामीण संकट, ऋण बंधक और मानव तस्करी के जोखिम को बढ़ाने वाली हैं। यह सर्वेक्षण कमजोर लोगों के लिए सहायता तंत्र को तेजी से कार्यान्वियत करने के लिए राज्य सरकार और समुदाय आधारित संगठनों के बीच लक्षित और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता पर बल देता है। सर्वेक्षण में सरकारी योजनाओं तक पहुंचने में कुछ प्रमुख चुनौतियां सामने आयी है जिनमें भदोही और प्रयागराज में संस्थानगत आपूर्ति में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई। इस वजह से, महिलाओ को सरकारी लाभ का फायदा नहीं मिल पा रहा है और मजबूरन उन्हें साहूकारों से ऋण लेना पड़ रहा है। इससे उनके लिए बंधुआ मजदूर बनने और मानव तस्करी का खतरा बढ़ रहा है। वीएचएनडी और एएनएम, आशा वर्कर्स आदि के माध्यम से दी जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं में कमी के कारण बच्चों और महिलाओं में खून की कमी के मामलों में वृद्धि हुयी है। सर्वेक्षण में शामिल चंदौली (66.4 प्रतिशत और 55.4 प्रतिशत) और आजमगढ़ (61.8 प्रतिशत और 61.7 प्रतिशत) में सबसे ज्यादा मामलों की वजह से यहां आपातकालीन स्वास्थ्य जरूरतों के लिए ऋण बंधक का जोखिम सबसे ज्यादा है। इसके अलावा एकीकृत बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस) के तहत मिलने वाले लाभ प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है। वहीं सर्वेक्षण में शामिल भदोही (57 प्रतिशत) और प्रयागराज (44 प्रतिशत) में बहुत से बच्चे आंगनवाड़ी केंद्रों में पंजीकृत नहीं होने से कुपोषण के मामले बढ़ रहे हैं। सर्वेक्षण में इन चुनौतियों को सामने लाने वाली ह्यूमन लिबर्टी नेटवर्क अपनी सिफारिशें जारी करते हुये कहा कि आजीविका में सुधार के लिये अनिवार्य रूप से घर-घर जाकर जॉब कार्ड का रजिस्ट्रेशन करना चाहिए। सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) गतिविधियों के माध्यम से मनरेगा पर जागरूकता बढ़ाई जाए। मनरेगा जॉब कार्ड के लिए अकेली महिला का रजिस्ट्रेशिन किया जाए। सीएससी के स्किल मैपिंग, बढ़ते कवरेज और कार्यक्षमता के अनुसार कार्य दायरे का विस्तारित किया जाए। इसके आयुष्मान भारत सहित सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं के कवरेज का विस्तार होना चाहिए। विशेषकर सबसे कमजोर समुदायों के लिए आपातकालीन स्वास्थ्य खर्च की जरूरत को पूरा किया जाना चाहिए, जो ऋण बंधक का सबसे प्रमुख कारण है। सर्वेक्षण के परिणामों पर बोलते हुए, ह्यूमन लिबर्टी नेटवर्क के एक सदस्य ने कहा कोविड-19 और लॉकडाउन का सबसे अधिक बुरा प्रभाव उन समुदायों पर पड़ा है, जो पहले से ही वंचित और संकट में फंसे हुए हैं। नेटवर्क ने आजीविका, स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण और आवश्यवक बुनियादी जरूरतों पर कोविड-19 से पड़े प्रभाव का पता लगाने के लिए यह सर्वेक्षण किया गया था। यह सर्वेक्षण जमीनी वास्ताविकता को समझकर इन प्रभावों और मानव तस्करी एवं बंधक स्थितियों के बीच लिंक को दिखाता है। इसके साथ ही यह सरकार को नीति-उन्मुवख फैसले लेने में मदद करता है। हमारा सुझाव है कि सरकार को प्रमुख सामाजिक प्रतिभागियों के साथ मिलकर पिछड़े व वंचित समुदायों की समस्याओं को सुलझाया जाना चाहिए। रोजगार सेवकों द्वारा घर-घर जाकर वापस लौटे प्रवासियों का जॉब कार्ड रजिस्ट्रेशन करवाना सुनिश्चित करना चाहिए और निगरानी व्यलवस्था को बेहतर बनाना चाहिए। लॉकडाउन के परिणामस्वरूप, प्रवासियों के वापस लौटने के कारण उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से एक है। सर्वेक्षण के अनुसार यहां 32 लाख प्रवासी मज़दूर वापस लौटे हैं। इतनी बड़ी संख्या क्षेत्र में सामाजिक अन्याय में वृद्धि के प्रत्यक्ष प्रभाव को दर्शाता है। मजबूत प्रवर्तन और बहु-प्रतिभागियों के बीच बेहतर समन्वय वापस लौटने वाले प्रवासियों के जीवन को शोषण और मानव तस्कभरी से बचाने में महत्व्पूर्ण भुमिका निभा सकता है।

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