धन्य धन्य धन्य महाधन्य हैं भारत माता उत्पन्न करती हैं हमेशा पूत सपूत और महासपूत
जरुरी है भारत माता के सपूतों की तलाश किया जाना चाहिये सम्मानित
ग्रामीणांचलों भी मिलेंगे गुदडी के लाल एक की हुयी तलाश
सराहनीय है जन हित मे योगदान
फैजाबाद।वीर सपूतों व देश सेवकों को हमारी भारत माता ने समय समय पर उत्पन्न किया जो ऐसे सपूत निकले की इन सपूतों ने समय समय पर देश की दशा और दिशा बदल कर अपने अपने विवेरानुसार एक नये भारत की कुछ ने स्थापना की तो कुछ भारत मां के सपूतों का महत्व पूर्ण योगदान देश को नये पर लाने रहा।
देश के महापुरसों भारत मां के महान सपूतों का यहां नाम लिखना आवश्यक नही है क्यों कि वे हमारी भारत माता के सपूत गुप्त नही बल्कि जग विदित हैं।ऐसे सपूत जरुरी नही हैं कि सम्पन्न घराने मे ही उत्पन्न हों।ज्यादातर ऐसे सपूत तो ग्रामीणांचलों गरीबों के घर उत्पन्न होकर गुदडियों पलते हैं।और इनके पास देश व समाज सेवा का जज्बा होता।लेकिन इन सपूतों की तमन्ना पर गरीबी अक्सर पानी फेर देती है।
और ख्वाब अधूरा रह जाता है।इसलिये गुदडी के लालों की विधवत तलाश की जानी तथा इनका सम्मान होना चाहिये सब प्रकार से इनका सहयोग होना चाहिये ताकि ऐसे लोगों का मनोबल गिरने न पाये इनका उत्साह वर्धन व समय समय पर अति आवश्यक है।हाल मे तलाश किया गया तो पता चला कि जिले की रुदौली तहसील के सुनबा गांव मे एक ब्यक्ति ऐसा है जो परिवार पालन के साथ साथ देश व समाज की सेवा अपना परम कर्तब्य समझता है वह एक 39 वर्षीय युवक डा अंशुमान सिंह गुडडू हैं।
01एक जुलाई 1979 को सुनबा एक गरीब परिवार मे जन्मे गुडडू पेशे से एक इलेक्ट्रो होम्योपैथी के बी ई एम एस उपाधिधारी चिकित्सक हैं बाराबंकी से प्रकाशित शिवकल्याण साप्ताहिक हिन्दी समाचार पत्र से पत्रकारिता की सुरुआत करने वाले गुडडू दो तीन साप्ताहिक पत्रों के अलावा हिन्दी दैनिक आज मे भी पत्रकार रहे।वर्तमान मे भी हिन्दी साप्ताहिक न्याय की हालत व wew चैनल CVM newsके रिपोर्टर हैं तथा पत्रकार कल्याण एशोसियेन के प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं इसी आयु मे राजनीतिक स्वाद भी ले चुके हैं कल्याण सिंह जब बीजेपी अलग हुये और राष्ट्रीय क्रान्ति पार्टी के नाम से नयी पार्टी का गठन किया।
जिसके बाद उन्होने बांगर मऊ उन्नाव के राजबहादुर कटियार को फैजाबाद जिले का पार्टी का सद्स्यता प्रमुख बनाकर भेजा एक दिन अचानक गुडडू की मुलाकात श्री कटियार से भेल्सर मे हो गयी और धीरे धीरे करीबता बढ गयी जिस के कारण पार्टी की जिला कार्य कारिणी मे गुडडू को स्थान देते उपाध्यक्ष का दायित्व दिया गया। किन्तु श्री कटियार के कुछ झूंठ के कारण गुडडू ने पार्टी से बाय बाय कर लिया।कुछ मित्रों के जबर्दस्त दबाव गुडडू ने पुनः कांग्रेस का दामन थामा तत्कालीन युवक कांग्रेस जिलाध्क्ष सुनील पाठक द्वारा इन्हे जिला इकाई का पाठक जी ने सचिव नामित किया।थोडे दिनों के बाद वहां मन लगने के कारण कांग्रेस के कार्यक्रमो मे जाना बंद कर दिया।
और एक बार रुदौली तहसील पुनः बाराबंकी मे चली गयी समाचारों को लेकर आवागमन के कारण इनकी मुलाकात राष्ट्रीय लोकदल के तत्कालीन बाराबंकी जिलाध्क्ष कासीसिंह बगावत से हुयी श्री बगावत ने रालोद की बाराबंकी जिला इकाई सचिव पद सौपा कार्य उत्तम होने के कारण मात्र छेः माह बाद ही कद ऊंचा कर महासचिव की जिम्मेदारी सौप दी गयी।उस समय रालोद व सपा की प्रदेश मे साझा सरकार थी जिले के कद्दावर ने नेता जो राष्ट्रीय स्तर तक चर्चा मे आये स्वर्गीय मुन्ना सिंह चौहान जी प्रदेश के काबीना मंत्री थे।
रुदौली तहसील मुख्यालय से स्वर्गीय मंत्री जी का पैतृक निवास करीब पडता है इसलिये तहसील से तमाम लोग गुडडू के जरिये रालोद से जुडे अंततः समय आया पुनः बिधान सभा चुनाव हुये बसपा का परचम लहराया बसपा की सरकार बनी तो रुदौली तहसील को एक बार फिर फैजाबाद जिले से जोडा गया।इसके बाद रालोद के तत्कालीन फैजाबाद
जिलाध्क्ष हरिशंकर मिश्र जी गुडडू के घर संगठन की मजबूती के लिये रात भर रहे जिस दिन आये उस दिन तथा दूसरे क्षेत्र के सुनबा सैमसी बिहारा कसारी गनेशपुर गांवो का भ्रमण गुडडू के साथ किया और फैजाबाद पहुंचने के बाद श्री मिश्र माननीय पूर्व मंत्री के कान मे गुडडू के विरुद्ध फूंक भरदी अब मंत्री जी आगबबूला हो गये दोनो मे फोन पर जमकर वार्ता हुयी और परिणाम निकला की गुडडू ने रालोद के साथ साथ राजनीति को ही बाय बाय कर दिया।
अब रालोद का रुदौली से पत्ता साफ होने लगा आज यह है कि रुदौली मे रालोद के गिने चुने कार्यकर्ता हैं जबकि उस समय मे रालोद का झंडा लेकर रुदौली क्षेत्र से सैकडों की संख्या मे लोग निकलते थे। गुडडू ने निजी कमायी के बल पर शिक्षा ग्रहण की पिता आर्थिक स्थिति ठीक होने के कारण वे उच्च शिक्षा का उच्च शैक्षणिक संस्थान मे अध्यन नही कर सके और एक इलेक्ट्रो होम्योपैथी के चिकित्सक बन कर रह गये।
आज छोटे से इलेक्ट्रो होम्योपैथी क्लीनिक के सहारे बच्चों की शिक्षा परिवार का भरण पोषण समाज की सेवा का कार्य ईश्वर के सहारे चल रहा है।गरीबों की से समाचार के माध्यम से गरीबों की सेवा दवाओ के माध्यम से न्याय के लिये जन हित मे आवाज उठाना गुडडू का स्वाभाव है लेकिन सच्चाई का साथ देने वाला हमेशा सताया जाता इसका प्रमाण गुडडू से मिल सकता है।
गत वर्ष दो दो मुकदमे फर्जी ढंग से गुडडू पर लादे गये।जिसके कारण माननीय हाईकोर्ट तक दरवाजा खटखटाने की नौबत और गुडडू को न्याय मिला।यह एक गरीब सच्चे समाज सेवक की कथा है।और हकीकत है।अभी यदि तलासा जाये तो इस प्रकार के तमाम गुदडी के लाल और भी मिलेंगे जो एक से बढ कर एक होंगे।और ऐसे गुदडी के लालों की तलाश आवश्यक है।
इनकी तलाश के बाद इनका मनोबल बढाया जाय हर प्रकार से इनका सहयोग किया जाय सरकार भी ऐसे समाज सेवकों को सम्मानित कर तथा आवश्यक सहयोग प्रदान करे सरकारी कार्यालयों मे ऐसे समाज सेवकों को प्रवेश से रोका न जाय तथा विशेषाधिकार का परिचय पत्र जारी किया जाय तो इस प्रकार के समाज सेवक काफी कुछ परिवर्तन ला सकते हैं।
तथा इनकी कार्य कुशलता के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र के ऐसे समाज सेवकों को राज्यसभा व बिधान परिषद मे स्थान दिया जाय।ताकि ये गरीब परिवार के शिक्षित समाज सेवक जिन्होने गरीबी झेला है और झेलते हुये देश और समाज को नये पथ पर लाने की सोच रखते हैं ऐसे लोगों का उच्च सदनों मे होना आवश्यक है।क्यों कि जो ब्यक्ति जिस हालात से गुजरा है उसकी विपदा वही जानता है ।
और यदि ऐसे ब्यक्ति को जिम्मेदारी सौपी गयी तो वह अपने तरीके से अपने समकक्षी की परेसानियों को समझते हुये परेसानियों को दूर करने की कोशिस करेगा।लेकिन जमाना यह है कि गरीब तबका तो आगे बढ ही नही पाता तमाम ऊंचे ऊंचे लोग बैठे हैं राजनीतिक पार्टियों मे उनकी पैठ है सरकार बनी जो राजनीतिक ककहरा नही जानते वे नेता जी बन जाते हैं
।समय आता है की महाहिम के बिधान परिषद व राज्यसभा का सदस्य नामित करने का तो इन्ही राजनीतिक पार्टियों के लोगों का बडी आसानी चयन हो जाता है।जबकि सरकार को चाहिये महाहिम को चाहिये की सच्चे समाज व देश सेवकों की तलाश कराकर सूची रखें और और जब ऐसा समय आये तो इन गुदडी के लालों मौका दिया जाय तो और भी महानता हमारे भारत देश मे झलकेगी।जय हिन्द जय भारत माता।