वृद्ध लोगों और कैंसर सहित मौजूदा मेडिकल कंडीशन से पीड़ित लोगों में कोरोनवायरस के संक्रमित होने का ज्यादा खतरा है
वृद्ध लोगों और कैंसर सहित मौजूदा मेडिकल कंडीशन से पीड़ित लोगों में कोरोनवायरस के संक्रमित होने का ज्यादा खतरा है
रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, कानपुर के डाक्टरों ने कोविड-19 के दौरान कैंसर मरीजों से अपना इलाज जारी रखने का किया अनुरोध
• इलाज में रुकावट आने से लक्षण बदतर हो सकते हैं और बीमारी से बचने की सम्भावना भी कम हो सकती है।
फर्रुखाबाद10 जुलाई 2021: महामारी के आने के बाद से मेडिकल एक्सपर्ट ने माना है कि वृद्ध लोगों और कैंसर सहित मौजूदा मेडिकल कंडीशन से पीड़ित लोगों में कोरोनवायरस के संक्रमित होने का ज्यादा खतरा है। यही कारण है कि कानपुर के रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने कैंसर मरीजों से अपना इलाज बंद न करने का अनुरोध किया है। पर्याप्त सावधानी के साथ और बेहतर देखरेख के अंतर्गत स्पेसिलाइज्ड डॉक्टर की मदद से मरीज सुरक्षित रूप से अपना इलाज जारी रखासकता है और आगे की कॉम्प्लिकेशन से बच सकता है।
द लैंसेट द्वारा भारत में कैंसर देखभाल पर कोविड-19 के प्रभाव पर हुए स्टडी में कहा गया है कि 2019 की तुलना में 1 मार्च से 31 मई, 2020 के बीच सभी ऑन्कोलॉजी सेवाओं में मरीजों की संख्या में उल्लेखनीय रूप से कमी देखी गई। कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण इलाज में देरी करने से कैंसर मरीज में बीमारी के एडवांस स्टेज में फैलने का खतरा बढ़ रहा हैं। लगभग 50% मरीज हॉस्पिटल्स में तब आ रहे हैं जब वे बीमारी के एडवांस स्टेज में पहुंच चुके होते हैं। चूंकि ऑन्कोलॉजी इलाज में बीमारी का पता जल्दी लगना एक महत्वपूर्ण तत्व होता है, इसलिए कोविड-19 महामारी के दौरान बेहतर देखभाल प्रदान करना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।
रेडियेशन थेरेपी और कीमोथेरेपी (सीटी) आमतौर पर निर्धारित अंतराल पर दी जाती है ताकि सामान्य कोशिकाओं की मरम्मत के लिए पर्याप्त समय मिल सके। चूंकि जीवित ट्यूमर कोशिकाओं में इलाज में देरी के दौरान मल्टीप्लाई होने की सम्भावना होती है, इसलिए ऐसे मरीजो में बीमारी फिर से होने या कभी-कभी इलाज में प्रतिरोध की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा पैलिएटिव केयर के दौरान हॉस्पिटल में भर्ती होने और मजबूत ओपिओइड की आवश्यकता वाले ज्यादा बीमार मरीजों का लक्षण औरभी ख़राब हो सकतेहै।
डॉ अतुल कपूर, मैनेजिंग डायरेक्टर, रीजेंसी हेल्थ ने कहा, “हमने देखा है कि स्क्रीनिंग के अभाव और उचित जागरूकता की कमी के कारण 50 प्रतिशत से ज्यादा मरीज एडवांस स्टेज में कंसल्टेशन के लिए आते हैं। महामारी के दौरान वायरस के डर से यह प्रतिशत बढ़कर 70-80 प्रतिशत हो गया है। अक्सर हमने देखा है कि इलाज शुरू करने में देरी या इलाज में रुकावट होने से कैंसर कोशिकाए बढ़ने लगती है। इलाज में रुकावट होने से लक्षण ज्यादा ख़राब होने लग सकते हैं और जीवित रहने की संभावना भी कम हो सकती है। महामारी के दौरान रीजेंसी हॉस्पिटल ने स्वास्थ्य देखभाल और विशेष रूप से कैंसर देखभाल को सुलभ और सस्ता बना दिया है ताकि लोगों को दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में इलाज के लिए न भटकना पड़े। हमारे पास सब तरह की टेक्नोलॉजी और हर तरह के कैंसर का इलाज उपलब्ध है ।हमारे हॉस्पिटल में कीमोथेरेपी, रेडिएशनथेरेपी, पडिअट्रिकऑन्कोलॉजी, पेटस्कैन, ब्रैकीथेरेपी आदि सभी तरह के स्क्रीनिंग टेक्नोलॉजी और इलाज भी उपलब्ध है।”
इटली और चीन जैसे देशों के अध्ययनों से पता चला है कि कैंसर के मरीज कोरोनावायरस के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं, कैंसर के मरीज में कोविड की गंभीरता ज्यादा हो सकती है और मृत्यु दर भी ऐसे मरीजों में ज्यादा हो सकती है। इसके अलावा- अखबार में प्रकाशित- कोविड-19 युग के दौरान भारत में कैंसर केयर डिलीवरी चुनौतियां: क्या हम महामारी के बाद के झटके के लिए तैयार हैं?- लेख से यह सुझाव मिलता है कि महामारी कैंसर मरीजों में रोग की प्रगति, एडवांस स्टेज में बीमारी का पता चलने से मरीज पर नकारात्मक असर डालेगी। इसे ध्यान में रखते हुए लोगों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वे अपनी सर्जरी या इलाज को न रोकें। समय पर पीईटी सीटी स्कैन और हेमेटो ऑन्कोलॉजी या न्यूक्लियर मेडिसिन ऑन्कोलॉजी जैसी प्रक्रियाएं कैंसर को शुरुआती स्टेज में ही पता लगा सकती हैं।
रीजेंसी हेल्थ, कानपुर के एक्सिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अभिषेक कपूर ने इस सम्बन्ध में बात करते हुए कहा, “हमने महामारी के दौरान 37000 से ज्यादा रेडिएशन थेरेपी की, 1100 से ज्यादा पीईटी स्कैन और 3,000 से ज्यादा कीमोथेरेपी इलाज के माध्यम से कैंसर मरीजों का इलाज किया है। हॉस्पिटल के कर्मचारियों को कोविड दिशा-निर्देशों के अनुसार ट्रेंड किया गया है और सोशल डिस्टेंसिंग तथा अन्य स्वच्छ आदतों का सख्ती से पालन किया जा रहा है। किसी भी मरीज के लिए हॉस्पिटल में आकर इलाज कराना पूरी तरह से सुरक्षित है। हम अपने रेगुलर मरीजों तथा उत्तर प्रदेश के मरीजों को ऑनलाइन कंसल्टेशन की सुविधा भी दे रहे हैं।”