उत्तर प्रदेशलखनऊ

बुजुर्गों की देखभाल: जागरूकता और रोकथाम से निमोनिया से पाए समाधान

बुजुर्गों की देखभाल: जागरूकता और रोकथाम से निमोनिया से पाए समाधान

 

लखनऊ , 9 जनवरी 2025: निमोनिया फेफड़ों का एक गंभीर संक्रमण होता है, और यह आज के समय में भी वृद्ध लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य खतरा बना हुआ है। निमोनिया अक्सर गंभीर कॉम्प्लिकेशन का कारण बनता है। यह बीमारी फेफड़ों में छोटी हवा की थैलियों में सूजन पैदा करती है, जिससे खांसी, बुखार और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण होते हैं। वैसे तो निमोनिया युवा व्यक्तियों में होना आम बात है, लेकिन यह कमजोर इम्यून सिस्टम और डायबिटीज, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), या हृदय बीमारियों जैसी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण बुजुर्गों के लिए भी खतरनाक चुनौतियां पेश करता है। बुजुर्गों में यह बीमारी होने पर भ्रम, चलने फिरने में अचानक कमी या शरीर में असामान्य तापमान का अनुभव हो सकता है, इसलिए इस बीमारी का समय पर डायग्नोसिस और इलाज बहुत जरूरी हो जाता है।
लखनऊ के रीजेंसी हॉस्पिटल में कंसल्टेंट फिजिशियन और डायबिटीज़ एक्सपर्ट डॉ. आकांक्षा गुप्ता ने बुजुर्गों में निमोनिया की पहचान करने और उसका इलाज करने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “बुजुर्गों में निमोनिया को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है, लेकिन इसका असर जानलेवा हो सकता है। सही इलाज़ के लिए ब्लड टेस्ट, एक्स-रे या सीटी स्कैन के माध्यम से प्रारंभिक जांच महत्वपूर्ण होती है। एंटीबायोटिक्स या एंटीवायरल दवाओं को सही हाइड्रेशन, आराम और पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन के साथ करके हम रेस्पिरेट्री फेलियर (श्वसन विफलता) या सेप्सिस जैसी कॉम्प्लिकेशन को रोक सकते हैं और रिकवरी में काफी सुधार कर सकते हैं।”
उन्होंने आगे जोर दिया कि डॉक्टरों की सलाह का बारीकी से पालन करने से मरीजों के लिए जीवन की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित होती है।
डॉ. आकांक्षा ने आगे बताया कि आईसीयू में गंभीर निमोनिया के मामलों की बढ़ती संख्या ने वैक्सिनेशन जैसे निवारक उपायों के महत्व को बढ़ाया है। निमोनिया के इलाज में एनआईवी और मैकेनिकल वेंटिलेशन की आवश्यकता होती है। न्यूमोकोकल और इन्फ्लूएंजा जैसे टीके निमोनिया की गंभीरता और कॉम्प्लिकेशन को काफी हद तक कम कर सकते हैं, जिससे संभावित रूप से आईसीयू में भर्ती होने से बचा जा सकता है।
बुजुर्गों में निमोनिया से जुड़े खतरे को कम करने के लिए समय पर रोकथाम भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। बार-बार हाथ धोने और अक्सर छुई जाने वाली सतहों को कीटाणुरहित करने जैसी अच्छी स्वच्छता आदतों को बनाए रखना न्यूमोकोकल निमोनिया और इन्फ्लूएंजा के खिलाफ़ मुख्य सुरक्षात्मक उपाय हैं। संतुलित डाइट, नियमित एक्सरसाइज़ और धूम्रपान छोड़ना फेफड़ों और संपूर्ण इम्यूनिटी को मजबूत करने के सरल लेकिन प्रभावी तरीके हैं। भीड़-भाड़ वाली जगहों या बीमार व्यक्तियों के संपर्क में आने से बचना भी संक्रमण की संभावना को कम करता है क्योंकि भीड़भाड़ से निमोनिया हो सकता है।
बढ़ती जागरूकता और सक्रिय कदमों उठाकर बुजुर्गों में निमोनिया के खतरे को ज्यादा अच्छे से मैनेज किया जा सकता है। जल्दी पहचान, उचित इलाज और निवारक देखभाल को प्राथमिकता देकर, हम इस गंभीर बीमारी के बोझ को काफी हद तक कम कर सकते हैं और हमारी वृद्ध आबादी के लिए एक स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं।

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