चीनी का विकल्प है मीठी तुलसी, डायबिटीज व मोटापे को कम करने में है बेहद लाभकारी
चीनी का विकल्प है मीठी तुलसी, डायबिटीज व मोटापे को कम करने में है बेहद लाभकारी
डायबिटीज व मोटापे से लड़ने में कारगर है मीठी तुलसी
लखनऊ 2 सितम्बर 2021: मीठी तुलसी का सेवन सेहत के लिए बेहद लाभकारी है। खासकर डायबिटीज के मरीजों व जो लोग वजन घटना चाहते हैं उनके लिए मीठी तुलसी वरदान की तरह है। मीठी तुलसी शक्कर व कृत्रिम शुगर फ्री स्वीटनर्स का उत्तम विकल्प होने के साथ साथ कई अन्य रूप में भी लाभकारी है। मीठी तुलसी को अंग्रेजी में स्टीविया कहा जाता है। यह एक एक औषधीय पौधा है जो की मूलरूप से साउथ अमेरिका में होता है। इसके मीठे स्वाद एवं औषधीय गुणों की वजह से इसका उपयोग पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है। जापान, कोरिया एवं साउथ अमेरिका में बड़े स्तर पर इसका उपयोग 1960 से किया जाता रहा है। पिछले सात वर्षों से भारत में भी प्राकृतिक स्वीटनर के रूप में इसका प्रचलन बढ़ रहा है। स्टीविया की सूखी पत्ती चीनी से 30 गुना तक मीठी होती है जबकि इसका एक्सट्रेक्ट 200-250 गुना मीठा होता है।
स्टीविया आधारित उत्पाद बनाने वाली कंपनी मैजिकलीफ की सह संस्थापक स्वाति पांडेय ने बताया की स्टीविया की मिठास का स्रोत उसकी पत्ती में ग्लाइकोसाइड नामक यौगिक होते हैं। इसे आर्गेनिक विधि से एक्सट्रेक्ट करके कई सारे प्रोडक्ट्स बनाये जाते हैं जिनका आम लोग रोजमर्रा की ज़िंदगी में आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं। स्वाति पांडेय ने बताया कि जीरो कैलोरी होने की वजह से इसका उपयोग शक्कर की जगह किया जा सकता है। भारत में पिछले कई सालों में स्टीविया का उपयोग किया जा रहा है। इसे चाय, नींबू पानी एवं अन्य पेय पदार्थो के लिए स्टीविया ड्रॉप्स एवं हलवा, खीर, सिवई बनाने से लिए स्टीविया पाउडर काफी लोकप्रिय हो रहा है। अन्य शुगर फ्री उत्पादों के मुकाबले स्टीविया के कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं। ये रोजाना इस्तेमाल के लिए परिवार में सभी के लिए सुरक्षित है।
अपोलोमेडिक्स अस्पताल की न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. प्रीति पांडेय ने कहा कि स्टीविया में मिठास के साथ साथ कई औषधीय गुण छिपे हुए हैं। स्टीविया में मिठास चीनी से कहीं ज्यादा होता है, लेकिन इसमें कैलोरी की मात्रा शुन्य होती है। जीरो कैलोरीज होने से इसके सेवन का हमारे ब्लड शुगर पे कोई प्रभाव नहीं होता है। डायबिटीज रोगियों को डॉक्टर्स मीठी तुलसी खाने की सलाह देते हैं। कई सारे केसेस में डायबिटीज रोगियों की ब्लड शुगर कंट्रोल करने में स्टीविया सहायक पायी गयी है। सबसे ज्यादा डायबिटीज के मरीज जिन्हें मीठा खाने का मन होता है वे इसका प्रयोग कर सकते हैं। भारत में सबसे ज्यादा डायबिटीज के रोगी हैं, वहीं कोविड 19 की वजह से भी कई लोग डायबिटीज का शिकार हुए हैं। वहीं मोटापे को नियंत्रित करने में भी यह अन्य शुगर फ्री स्वीटनर्स का एक प्राकृतिक एवं अच्छा विकल्प है। चीनी की बजाये स्टीविया का सेवन वजन मेन्टेन करने के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। सिर्फ डायबिटीज और मोटापे के मरीज नहीं बल्कि स्टीविया का सेवन आमतौर पर सभी के लिए फायदेमंद है। स्टीविया के अन्य औषधीय गुणों के ऊपर कई क्लीनिकल ट्रायल्स व शोध विश्वभर में चल रहे हैं। ब्लड प्रेशर कंट्रोल, कैंसर रोधी क्षमता एवं इम्युनिटी बढ़ने में स्टीविया को सहायक पाया गया है।
स्टीविया की बढ़ती लोक्रप्रियता और इसके सेहत के लिए फायदों को देखते हुए राष्ट्रीय आयुष मिशन के अंतर्गत इससे वरीयता फसल की केटेगरी में रखा गया है। इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड की योजना में सब्सिडी का भी प्रावधान है। इस समय भारतवर्ष में काफी सारा स्टीविया एक्सट्रेक्ट चीन से इम्पोर्ट करके आता है जिसको कम करने के लिए इसकी खेती और प्रोसेसिंग दोनों की क्षमता बढ़ाये जाने की जरूरत है।
मीठी तुलसी (स्टीविया) का इस्तेमाल तीन तरीको से किया जाता है। इसकी सूखी पत्तियों का चाय की पत्तियों की तरह इस्तेमाल किया जा सकता हैं। चाय उबालने के समय दो से तीन पत्तियां डाल देने से चाय, काढ़ा एवं अन्य गर्म पेय पदार्थ मीठी किये जा सकते हैं। खाली पानी में पत्तिया उबालने से भी मीठा अर्क तैयार किया जा सकता हैं जिसे चाय नींबू पानी इत्यादि में इस्तेमाल कर सकते हैं। बाजार में कई सारे ब्रांड्स स्टीविया ड्रॉप्स एवं स्टीविया पाउडर लेके आये हैं। जिनका इस्तेमाल करना पत्ती से ज्यादा आसान है। स्टीविया ड्रॉप्स प्रोडक्ट की सिर्फ 4 से 5 बूंदों से चाय मीठी की जा सकती है जबकि स्टीविया पाउडर का इस्तेमाल शक्कर की तरह विभिन्न पकवानों को बनाने में किया जा सकता है। अलग अलग कंपनी का स्टीविया पाउडर शक्कर से दो गुना से 8 गुना मीठा हो सकता है।