फ़ैज़ाबाद जिले में आयी झोलाछाप डॉक्टरों की बाढ़ अधिकारी कार्यवाही के बजाय देते है संरक्षण
विभाग बेखबर नही बल्कि बंद किये है आंखें क्षेत्र मे कुकुरमुत्तों की भांति फैले हैं
कथित बंगाली व अन्य झोलाक्षाप चिकित्सक की बार बार शिकायत व समाचार प्रकाशित होने पर भी नही होती कार्यवाई
सिकायत पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर तैनात चिकित्साधिकारी कहते हैं- I am not empowerd
यदि जनमानस को पहुंचे हानि तो कौन होगा जिम्मेदार
अंशुमान सिंह की ख़ास रिपोर्ट
सैदपुर-फैजाबाद।हाल ये दास्तां देखिये स्वास्थ्य विभाग का सम्पूर्ण तहसील क्षेत्र मे करीब दो सौ के आसपास झोलाक्षाप चिकित्सकों के धंधे फल फूल रहे हैं किन्तु किसी पर कोई कार्यवाई नही होती।
सैदपुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्साधिकारी के वाटस्प नम्बर पर सिकायत गत दिनों की गयी तो चार दी के बाद सिकायत कर्ता को वाटस्प पर ही जवाब दिया गया की I am not empowerd,the coplanint CMO. or m o I c mawai अब सोचिये की साहब के अधिकार क्षेत्र मे नही है तो साहब ही सिकायत को आगे बढा सकते थे।
दूसरी यही साहब वर्ष 2002और2003मे इसी प्रथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर तैनात थे तो उन्होने पल्स पोलियो अभियान के दौरान सिकायत कर्ता से काफी कुछ पूंछ तांछ किये थे क्यों कि सिकायत कर्ता भी एक चिकित्सक है।उस समय साहब का कहना था ।
चलिये आप चिकित्सा कार्य करने के लिये अधिकृति हैं लगे रहिये लेकिन अब सायद साहब से झोलाछापों से पूंछ तांछ करने का अधिकार छिन गया है।कैसे उत्पन्न होते हैं झोलाक्षाप सच क्या है सच यह है कि यदि कोई पुराना अधिकृति पहले किसी को अपनी सुख सविधा के लिये रखे था ।
वह बाद मे चिकित्सक बन गया अब क्या हुआ कि जो डा साहब के पास से सीख कर आया उसने अपनी सुख सविधा के लिये और युवाओं को रख कर ग्रामीण स्तर पर चिकित्सा ब्यवसाय करने लगा।और एक से अनेक नीम हकीम खतरे जान पैदा हो गये।
यही नही ग्रामीणांचलों के तमाम मेडिकल स्टोरों पर भी संचालक अपनी सुख सविधा के लिये पढें लिखे युवकों को रख नीम हकीम खतरे जान पैदा कर रहे हैं।कारण ये मेडिकल स्टोर संचालक मेडिकल स्टोर के लाइसेंस की आड चिकित्सीय ब्यवसाय करते हैं ।
जबकि मेडिकल स्टोर पर तैनात फार्मासिस्ट का कार्य चिकित्सक के परामर्श पर दवायें देना व रोगी को दवाओं की खुराक समझाना तथा इंजेक्सन लगाना आदि है न कि चिकित्सक की भांति प्रैक्टिश करना है।किन्तु यहां मेडिकल स्टोरों पर फार्मासिस्ट भी नही रहते फार्मेसी का डिप्लोमा व डिग्री किसी और की और कार्यकर्ता कोई और होता है ।
और जो कार्यकर्ता है वही अधिकृति न होते हुये भी बडा डा साहब बन कर नीम हकीम खतरे जान पैदा कर रहे हैं।और ये खतरे जान गांवों के छोटे मजरों मे बस कर जनमानस को लूट रहे हैं यदि ऐसी स्थिति मे किसी को कुछ हानि पहुंचे तो जिम्मेदार कौन होगा।
स्वास्थ्य विभाग जानता सब कुछ है किन्तु कार्यवाई की जहमत नही उठाता क्यों कि सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर तैनात चिकित्सक ही सही ढंग से ड्यूटी नही करते ऐसी स्थिति मे वे किसी पर उंगली उठाते हैं तो उन पर भी उंगली उठेगी यही कारण है कि साहब ने लिख दिया I am not empowerd इतना लिख कर साहब ने कर्तब्यों की इतिश्री करदी।ये आलम है स्वास्थ्य विभाग का।
और झोलाछापों का आलम अकेले सैदपुर बाजार मे ढाई दर्जन से अधिक की संख्या मे है।कसारी गांव मे चार सुनबा मे मजरे बाबा का पुरवा मे एक बाबा बाजार मे करीब डेढ दर्जन हरिहर पुर मे तीन सैमसी मे दो व तेर मे दो चन्द्रामऊ मे छेः सुनबा मे दो गनेशपुर मे दो बहांपुर मे एक इमिल्डिहा मे तीन नेवरा बाजार मे छेः यह हाल है कहां तक लिखा जाय समझ मे ही नही आता।तमाम मेडिकल स्टोरों पर अल्प्राजोलाम आदि की प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री भी जमकर की जाती है किन्तु स्वास्थ्य विभाग जागने का नाम नही ले रहा।
सरकारों ने कई बार अवैध रुप से चिकित्सक बने लोगों पर कार्यवाई का आदेश निर्देश भी दिये किन्तु सब बेअसर ही रहा राम भरोसे ही है ग्रामीणो का स्वास्थ्य कथित बंगाली व अन्य झोलाक्षाप काट रहे हैं हीरे जवाहरात।जय हिन्द जय भारत माता