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बेटे अजहर के करोना काल की कहानी पिता इरशाद राही की जुबानी सुपरमैन है अजहर

बेटे अजहर के करोना काल की कहानी पिता इरशाद राही की जुबानी सुपरमैन है अजहर

लेखक व कहानीकार इरशाद राही


प्रिय साथियों …..आज आपके सामने एक नौजवान की कहानी लेकर आया हूं उसका नाम अजहर हुसैन है जो मेरा बेटा है इस विपरीत परिस्थितियों में देश हित में समाज हित में लोगों की मदद कर रहा है आप सब लोगों की उसको दुआओं की जरूरत है

पोस्ट आप लोग को पसंद आए तो शेयर जरूर करिएगा। क्योंकि मैंने भी अपने इकलौते बेटे को। जान जोखिम में डालकरर दिल पर पत्थर रखकर। उसे मैदान में उतार दिया।

यह जो सुपरमैन की टीशर्ट पहने लड़का मुस्कुरा रहा है। इसने वाकई में इस कठिन दौर में सुपर हीरो की तरीके काम किया है।

मिलिए मेरे इकलौते बेटे अज़हर हुसैन से जिसने मेरा सर गर्व से ऊंचा कर दिया। मुझसे अलग हटकर उसने अपनी एक पहचान समाज में बना ली है। जिससे मुझे बहुत खुशी हो रही है। बहुत से लोगों के फोन आ रहे हैं। मुबारकबाद दे रहे हैं। और अज़हर की तारीफ कर रहे हैं। और साथ ही साथ फिक्र भी कि अज़हर डेली निकल रहा है। और आप उसे रोकिए। अपने को भी सेव करें वह अपनी जान जोखिम में डालकर डेली निकलना यह अच्छी बात नहीं है।

मैंने अज़हर को बताया भी तो उधर आया जवाब था। कि जमीनी अतिथि क्या है? मैं जानता हूं। इस वक्त लोगों को खाना राशन और दवाई की कितनी जरूरत है यह सुनकर मैं भी उसे रोक न पाया। लॉक डाउन के फौरन बाद ही। अज़हर निकल पड़े। अपने भारत वासियों या यूं कहें कि अपने हिंदुस्तानी भाइयों की मदद करने।

आइए अब एक नजर संक्षिप्त में डालते हैं उनके काम पर।

करोना योद्धा अजहर हुसैन

प्रिय दोस्तों जैसा कि हम सब जानते हैं कि हम लोग एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं ऐसे कठिन दौर से जिसमें लाखों करोड़ों लोग परेशान हाल है यह सब हम लोग अपनी आंखों से देख रहे हैं और सुन रहे हैं हर तरफ त्राहि-त्राहि है लॉक डाउन लगा हुआ है घरों से निकलना मना है गंभीर महामारी फैली हुई है ऐसे में सड़कों पर मेहनतकश गरीब मजदूर किसान लोगों का भूखे प्यासे सैकड़ों मील अपने घर की ओर पैदल ही चल देना जेब में ₹1 ना होना ऐसे में एक नौजवान अजहर हुसैन इन लोगों के दुख और दर्द को महसूस करता है और इनके लिए कुछ करने की ठानता है जबकि सारे रास्ते बंद हैं विपरीत परिस्थितियां हैं निकलने पर पाबंदी है लोगों के दिलों में भय और डर बैठा है मुझ से अनुमति लेने आते हैं कि मुझे इन को खाना खिलाना है मैं अपने दिल पर पत्थर रखकर इनको अनुमति देता हूं जबकि यह मेरे इकलौते बेटे हैं मैं इनको कुछ रुपए देता हूं यह उसको लेकर अपने दोस्त के पास जाते हैं वह भी उसमें पैसे उसमें मिलाता है घर परिवार के लोग पहले दिन तेहरी बनाते हैं लगभग 500 पैकेट पैक करते हैं और लोगों को रास्ते में पूछ पूछ कर खाना खिलाते हैं जिसका फेसबुक लाइव अज़हर की वॉल पर मिल जायेगा। अब इनके पास समस्या यह थी कि इनको पुलिस कहीं रुके ना और इनके पास कार्ड हो मेरे दोस्त श्री विकास चंद्र त्रिपाठी DCP West है उनसे मैं बात करता हूं वह अपना पूरा सहयोग देते हैं और अनुमति प्रदान कर देते हैं और सर्वप्रथम उनके ही दिशा निर्देश पर यह जाकर कैसरबाग बस अड्डे पर लोगों को भोजन वितरण करते हैं

फिर यह सिलसिला चलता रहा लोग इनसे से जुड़ते रहे धीरे धीरे इनके सराहनीय कार्य में एक लंबा कारवां बन गया। यह लोग प्रतिदिन 500 लोगों का भोजन बनाकर लोगों में वितरण करने लगे अमर उजाला समाचार पत्र ने भी इनसे 100 पैकेट भोजन लेकर वितरण किया शहीद पथ पर 200 मजदूर 2 दिन से भूखे थे पुलिस विभाग का फोन इनके पास आता है और यह लोग 200 लोगों का फिर से खाना बनवा कर शहीद पथ जाकर उन मजदूरों को खाना खिलाते हैं

उसके बाद अज़हर हुसैन ने हिम्मत की और राशन वितरण का प्रोग्राम बनाया और इन्हीं ने सैकड़ों पैकेट भोजन वितरण के बनाएं और प्रतिदिन जाकर बाँटा इनको सैकड़ों मेहनतकश लोगों की दुआएं मिलने लगी और साथ ही खुदा ने लोगों के दिलों में डाला और लोग इनकी मदद करने को आगे आने लगे।

जबकि इन्हीं ने किसी से भी नहीं कहा था कि आप मदद करें तो यह खुदा की इन पर बहुत बड़ी कृपा रही और वह लोग जो इनको आर्थिक मदद कर रहे थे उनकी वजह से यह लंबे समय तक लोगों की सेवा कर पा रहे हैं साथ ही उर्दू अकैडमी की चेयरपर्सन आसिफा जमानी जी की बहू हिमानी रिजवी का फोन इनके पास आता है लखनऊ से 35 किलोमीटर दूर 40 घर जो भूखे हैं उनकी व्यवस्था करने को कहती हैं और यह करके उनको देते हैं

फिर इनके पास सोशल मीडिया से इनका नंबर लेकर चिनहट से फोन आता है यह वहां पर अपने साथी अमरदीप और अवधेश को भेजकर राशन वितरण करवाते हैं

किसी को दवा की आवश्यकता होती है तो यह मेडिसिन मार्केट से दवा खरीद कर उनके घर तक पहुंचाते रहे हैं

फिर इनके पास एक फोन नरही से आता है किसी महिला का वह कहती है मेरे पति विकलांग हैं और मैं घरों में खाना बनाने का काम करती हूं मेरा छोटा बच्चा है मुझे दूध के दो डिब्बे चाहिए यह उसको खरीद कर उसके घर नरही जाकर पहुंचाते हैं

इसी तरीके से राजाजीपुरम आलमबाग लालबाग सहादतगंज सदर चिनहट पारा यमुना एक्स्प्रेस वे, आगरा एक्स्प्रेस वे, शहीद पथ, अपनी बाइक से लोगों को खाना पहुँचाया। ये बड़ी बात है बाइक पर 500 पैकेट का केरेट और बन्दा पीछे बैठा और एक drive कर रहा। इस तरह से लोगों की भूक को मिटाने का प्रयास कर रहे हैं

जहां-जहां लोग फंसे हुए थे भूख और हालात के मारे हुए थे अजहर हुसैन ने अपनी पूरी शक्ति के साथ उन तक भोजन पहुंचाया इनको देख कर इनकी वीडियो देखकर इनके साथियों में भी और जो इनके साथ ही नहीं थे उन्हें भी यह जज्बा पैदा हुआ और उन्होंने भी अपने अपने इलाकों में लोगों को भोजन वितरण करना शुरू कर दिया इस छोटी सी उम्र में इन्होंने बड़ा काम अंजाम दिया है

एक गरीब परिवार का बेटा जिसका बच्चा आईसीयू में भर्ती था। 8 महीने की उम्र है उस बच्चे के लिए। डेली फंड इखट्ठा करके उस बच्चे का इलाज करवाया। और वह बच्चा 22-5-2020 स्वस्थ होकर अपने घर की ओर लौट गया है।

यह मुबारकबाद के लायक हैं यह सच्चे करोना योद्धा है को मेरा सलाम खुदा तुम्हें इतनी तरक्की दें इतना कामयाब बनाये कि तुम ज़्यादा से ज़्यादा लोगो की मदद कर सको।

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