उत्तर प्रदेशलखनऊ

हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि गीतों के दरवेश

हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि गीतों के दरवेश

पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी की 97वीं जयंती पर
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट
तथा
संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार एवं उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र
के संयुक्त तत्वावधान में
दिनांक : 04 जनवरी 2022 | दिन मंगलवार | समय: सायं 07:00 बजे से
“कला मंडपम”, भातखण्डे संगीत संस्थान, कैसरबाग़, लखनऊ में
आयोजित सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम
“बेमिसाल नीरज: कारवां गुजर गया” की

लखनऊ, 04 जनवरी 2022: हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक महाकवि गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी की 97वीं जयंती के उपलक्ष मे सांस्कृतिक कार्यक्रम “बेमिसाल नीरज: कारवाँ गुज़र गया” का आयोजन संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार एवं उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा कला मंडपम, कैसरबाग़ में किया गया l

“जब तक मंदिर मस्जिद है मुश्किल में इंसान रहेगा
नीरज तो कल यहाँ ना होगा उसका गीत विधान रहेगा।“

निश्चित रूप से यह कहना गलत न होगा की नीरज जी की कविताओं एवं गीतों की प्रतिध्वनि आने वाले कई सदियों तक यूँ ही गूँजती रहेंगी l इनकी कविताओं में प्रेम, विरह, अकेलापन, बेबाक़ी झलकती है और जीवन के संघर्ष को बख़ूबी दर्शाती हैं l

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व IG श्री राजेश पाण्डेय तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल द्धारा श्रद्धा रूपी दीप प्रज्वल्लन एवं पुष्प अर्पण कर के नीरज जी को स्मरण किया गया l

श्री राजेश पाण्डेय ने नीरज जी का स्मरण करते हुए कहा कि लखनऊ महोत्सव में तमामों कार्यक्रम में वो आते रहे और उनका सानिध्य मिलता रहा l 2016 में मैं एस.एस.पी. अलीगढ पोस्ट हो गया तो पोस्टिंग के तीसरे दिन ही मैं उनसे मिलने गया l उसके बाद अनवरत हम उनके संपर्क में बने रहे l 2018 में नीरज जी का आखिरी जन्मदिन हमने अलीगढ में मनाया जिसमें मेरे सब अधिकारी बड़े उत्साह के साथ शामिल हुए l केक पर गिटार बनाया गया था l नीरज जी के अलीगढ़ स्थित घर को गुब्बारों व फूल से सजाया गया था l नीरज जी को छोटा बड़ा कोई भी कष्ट होता था तो वो फोन करते थे l एक रात 02 बजे नीरज जी का फोन आया कि उनका पैर जल गया था मैं घबरा कर तुरंत पहुंचा उनको अस्पताल ले गया l एक दिन नीरज जी बोले हार्ट में तकलीफ है लेकिन अस्पताल नहीं जाऊँगा l तब मैंने घर पर मशीनें भिजवाई l एक बार नीरज जी की बहुत तबीयत खराब हुई तब अस्पताल में भर्ती कराया और रोज़ सुबह शाम उनको देखने जाता था l हमने कहा दादा बहुत जल्दी ठीक हो जाएंगे कहने लगे सुनो नीरज कवि सम्मलेन के मंच पर ही मरेगा ठीक तो मैं हो ही जाऊंगा तुम क्या समझ रहे हो अस्पताल में मरूंगा मैं, इतना जिन्दा दिल इंसान थे वो I राजेश पाण्डेय अपने स्मरण बताते हुए भावुक हो गए l श्री पाण्डेय ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल की नीरज जी के प्रति समर्पण भाव व प्रेम की सराहना करते हुए कहा कि हर्ष वर्धन का नीरज जी से पिछले जन्मों का कोई नाता ज़रूर रहा होगा l

हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने, कहा कि नीरज जी ने “कारवां गुज़र गया” की रचना की, उनके जाने के बाद ट्रस्ट ने निर्णय किया कि नीरज जी का कारवाँ जारी रहेगा और आप सबके सहयोग से निरंतर चलता रहेगा l इसी क्रम में आज के इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है l नीरज जी की रचनायें उन्होनें ऐसी लिखी हैं जिन्हें एक बार सुनने के बाद दिल करता है एक बार और सुनें, बार-बार सुनने के बाद भी दिल कहता है एक बार और सुनें l आज जिस तरह कोरोना महामारी के कारण सम्पूर्ण मानव जाति डर व अशांतिपूर्ण जीवन जीने को मजबूर है उस समय नीरज जी की ये पंक्तियां :-

गीत जब मर जाएंगे फिर क्या यहां रह जाएगा,
एक सिसकता आँसुओं का कारवाँ रह जाएगा,
प्यार की धरती अगर बन्दूक से बांटी गयी,
एक मुरदा शहर अपने दरमियां रह जाएगा l

हमें एहसास दिलाती हैं कि इस संसार को प्रेम और सौहार्द की कितनी आवश्यकता है l वह कहते थे कि बिना गीत के, बिना प्यार के यह जीवन सिसकते आंसुओं का कारवाँ भर रह जाता है l मेरा आप सभी से विनम्र निवेदन है कि जब तक शरीर जीवित है अपनी आत्मा को प्रेम रुपी गीतों से सराबोर रखें l जिससे आगे आने वाली हजारों सदियों तक ‘नीरज’ जी का नाम प्रेम पुजारी के रूप में लिया जाता रहे l

सांस्कृतिक कार्यक्रम विवरण :-

प्रथम प्रस्तुति: कथक नृत्य जिसमें ‘नीरज जी’ के गीत कारवाँ गुज़र गया का कथक नृत्य में श्रद्धापूर्वक पुनः निर्माण करने की परिकल्पना, संरचना एवं नृत्य निर्देशन लखनऊ की कथक नृत्यांगना नम्रता रॉय द्धारा किया गया l इस रचना के पुनः निर्माण का संगीत लखनऊ के गायक एवं संगीत निर्माता अर्जित अग्रवाल एवं निर्देशन दिवाकर सिंह द्धारा किया गया l

कथक कलाकार: नम्रता रॉय, पंकज पाण्डेय, अश्वनी श्रीवास्तव, अंकिता सिंह, सीमा पाल, पूजा वर्मा, ख़ुशी मौर्य l

कथक संगीत के प्रारम्भ में नीरज जी की शायरी लेते हुए तीनताल के विलंबित लय में ठाट, उठान और उपज से द्रुत लय में सरगम एवं तराने के साथ बंदिशो के बीच नीरज जी के गीत के बोलो को सजाया गाया l
द्वितीय प्रस्तुति: नीरज जी की कविताओं “है बहुत अँधियारा…, तमाम उम्र मई एक अजनबी के घर….., हम तो मस्त फ़कीर…. की प्रस्तुति कवि दिवाकर सिंह द्धारा की गई।

तृतीय प्रस्तुति: रेट्रो अकूस्टिक अन्दाज़ में नीरज जी के हिंदी सिनेमा के कुछ चुनिंदा मशहूर गीतों, जैसे “लिखे जो ख़त तुझे”, “शोख़ियों में घोला जाए”, “रंगीला रे”, “ओ मेरी शर्मीली” और अन्य गीतों का प्रदर्शन अर्जित अग्रवाल म्यूज़िकल ग्रूप द्वारा किया गया l

संगीत कलाकार: हैरी, आकांक्षा त्रिपाठी, दिवाकर सिंह, ऐनी, योगेश, शैलजा सिंह l

मुख्य अतिथि: श्री राजेश पाण्डेय (IPS) तथा नवोदित कलाकारों को प्रतीक चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया l श्री विशाल मिश्रा को कार्यक्रम आयोजन तथा प्रचार-प्रसार में विशेष सहयोग प्रदान करने हेतु प्रतीक चिन्ह प्रस्तुत कर सम्म्मानित किया गया l

नोट: किसी अन्य जानकारी हेतु कृपया ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल जी से मोबाइल नंबर 9415020720 तथा 9415786000 पर वार्ता करना चाहें l

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