उत्तर प्रदेशलखनऊ

मीजल्स रूबेला टीकाकरण अभियान का उत्तर प्रदेश में शुभारंभ

जितेन्द्र कुमार खन्ना- विशेष संवाददाता

लखनऊ । चिकित्सा एवं परिवार कल्याण विभाग, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यूनिसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू,एच,ओ )और यूएनडीपी, लाइंस रोटरी, आई,ए,पी, के सहयोग से आज मीजिल्स रूबेला टीकाकरण अभियान को लेकर राज्य स्तरीय मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया । कार्यशाला की अध्यक्षता माननीय मंत्री परिवार कल्याण उत्तर प्रदेश सरकार सुश्री रीता बहुगुणा जोशी ने की ।

कार्यशाला की शुरुआत करते हुए श्री पंकज कुमार मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि टीकाकरण बच्चों के जीवन और भविष्य को सुरक्षित करने का सबसे कारगर और किफायती तरीका है ।
संपूर्ण टीकाकरण अभियान के तहत उनका पूरा प्रयास है कि सुरक्षित जीवन को सुरक्षित करने वाली वैक्सीन का लाभ हर बच्चे तक पहुंचे । इस दिशा में अभी हाल ही में शुरू की गई मिजिल्स- रूबेला वैक्सीन को अभियान के तहत स्कूलों स्वास्थ्य केंद्रों और दुर्गम क्षेत्रों तक निशुल्क मुहैया कराना लक्ष्य पाने की दिशा में एक बड़ा कदम है ।

इस मौके पर यूनिसेफ इंडिया के श्री अमित मेहरोत्रा ने जोर देते हुए कहा कि पोलियो के खिलाफ जंग में मीडिया ने यूनिसेफ का लंबे समय तक भरपूर सहयोग किया है । अब हम मीडिया से यह सहयोग चाहते हैं कि वह सुनिश्चित करें कि देश के सभी बच्चों को टीकाकरण का लाभ मिल सके भले ही वह किसी भी क्षेत्र में रहते हो । टीकाकरण बच्चों का जीवन बचाने के लिए ही नहीं बल्कि एक स्वस्थ और उत्पादक भविष्य देने के लिए भी बहुत ही सस्ती सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा है ।

वैक्सीन के संबंध में बताते हुए डॉक्टर वेदप्रकाश (महाप्रबंधक नियमित टीकाकरण राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश सरकार) ने कहा कि भारत सन 2020 तक मीजिल्स के उन्मूलन और रूबेला /जन्मजात रूबेला सिंड्रोम (सीआरएस) के नियंत्रण के लिए संकल्पबद्ध है ।
विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के तहत 9 माह से 15 साल तक के देश के करीब 41 करोड़ बच्चों का टीकाकरण करने का लक्ष्य है ।

कार्यशाला में राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी उत्तर प्रदेश सरकार डॉक्टर ए पी चतुर्वेदी ने राज्य में शुरू हो रहे मिजल्स रूबेला टीकाकरण अभियान के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि इसके तहत प्रदेश के 75 जिलों के लगभग आठ करोड़ बच्चों के टीकाकरण का लक्ष्य है ।

अभियान के तहत 9 माह से 15 साल तक के बच्चों को मीजिल्स रूबेला (एम,आर)वैक्सीन का एक अतिरिक्त डोज़ दिया जाएगा ।
अभियान के तहत लगने वाली एमआर वैक्सीन नियमित टीकाकरण का हिस्सा है और इसके साथ ही यह मीजिल्स वैक्सीन की जगह लेगी जो कि अभी 9 से 12 माह और 16 से 24 माह के बच्चों को दी जाती है ।

इस अवसर पर w.h.o. से डॉक्टर मधुप बाजपेई ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू,एच,ओ)भारत द्वारा बच्चों की जानलेवा बीमारी मीजिल्स और रूबेला से होने वाली जन्मजात अपंगता के खिलाफ शुरू किए गए विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के लिए बधाई देता है ।
ज्ञात हो कि भारत पहले ही बड़ी चेचक, पोलियो, मातृ एव नवजात टेटनस, तथा yaws को हराने में सफल रहा है ।
मीजिल्स के खिलाफ छेडी गई इस जग में सफलता मिलने के साथ ही यह हमें अन्य स्वास्थ्य प्राथमिकताओं को प्राप्त करने में भी सहयोग करेगी ।

मीजल्स रूबेला टीकाकरण अभियान के तहत पहले चरण की शुरुआत फरवरी 2017 में देश के 5 राज्यों तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा, लक्षदीप, और पांडिचेरी, से हुई थी इसके तहत 3. 3 करोड़ से अधिक बच्चों का टीकाकरण किया गया जो कि तय किए गए
आयु वर्ग के 97 फीसद बच्चों तक पहुंचा ।

अभियान स्कूलों समुदायिक केंद्रों और स्वास्थ्य केंद्रों में चलाया गया ।
इस तरह अब तक देश के 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 13 करोड़ बच्चों का टीकाकरण किया जा चुका है ।
कार्यशाला में पैनल डिसेक्शन के दौरान कुछ विधालयों के प्रधानाचार्य द्वारा सहभागिता करते हुए एमआर अभियान संबंधी चर्चा की गई ।
डाक्टर रवी अहुजा आई,ए,पी द्वारा एमआर अभियान में बाल रोग विशेषज्ञों द्वारा दिए जा रहे सहयोग के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई ।

कार्यशाला समापन पर डॉक्टर रीता बहुगुणा जोशी (माननीय मंत्री परिवार कल्याण एवं पार्याटन विभाग) ने बताया की उत्तर प्रदेश सरकार बच्चों के स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए प्रतिबद्ध है और इसी क्रम में एमआर अभियान को चलाया जा रहा है ताकि आने वाली पीढ़ियों को खसरा व रूबेला जैसी खतरनाक बीमारियों से बचाया जा सके ।
उत्तर प्रदेश सरकार ने यूनिसेफ और w.h.o. की सहभागिता से नागरिक सामाजिक संगठनों सहयोगियों और शिक्षण संस्थाओं के साथ साथ मीडिया के जरिए लोगों में टीकाकरण के प्रति विश्वास जगाने के साथ ही किसी भी प्रकार के मिथक को तोड़कर हर बच्चे के टीकाकरण में सहयोग प्राप्त किया है ।

टीकाकरण जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक ऐसा सबसे सस्ता साधन है जो कि हर साल विश्व के करीब 2 से 3 मिलीयन बच्चों को मौत के मुंह में जाने से बचाता है । लाभार्थियों की संख्या भौगोलिक रूप में बड़े भूभाग और प्रयोग की जाने वाली वैक्सीन की संख्या को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि भारत विश्व में सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रम को चला रहा है । इसके जरिए हर साल पैदा होने वाले करीब 26 मिलियन बच्चों के टीकाकरण का लक्ष्य है ।
देश में हर साल 9 मिलियन से अधिक टीकाकरण सत्र आयोजित किए जाते हैं ।

मीजल्स रूबेला अभियान के तहत भारत में बच्चों के टीकाकरण कार्यक्रम में पहली बार रूवेला वैक्सीन को शामिल किया गया है ।
रूबेला जिसे समान्य रूप से जर्मन मीजल्स के नाम से जाना जाता है समानता ज्यादा हानिकारक नहीं है किंतु गर्भवती महिलाओं के लिए यह काफी हानिकारक है ।छोटे बच्चों की मौत का कारण बनने वाली मीजिल्स से बचाने का काम देश में शुरू की गई नई एमआर वैक्सीन करेगी ।

ज्ञात हो कि सन 2015 में खसरा से विश्व में करीब 134200 लोगों की मौत हुई थी जिसमें से 49,200लोग भारत के थे जो कि कुल तादाद के 36 फीसद हैं । इसके अलावा इस बीमारी से बचने वाले बच्चों को निमोनिया व डायरिया की चपेट में आने की संभावना भी रहती है ।

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