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अयोध्या लोकसभा में गठबंधन प्रत्याशी आनंदसेन यादव का पलड़ा भारी

अयोध्या लोकसभा में गठबंधन प्रत्याशी आनंदसेन यादव का पलड़ा भारी

इमरान खान

चुनाव का माहौल है और और इस चुनावी माहौल में उत्तर प्रदेश की बहुत ही चर्चित राम नगरी अयोध्या लोकसभा की बात ना किया जाए तो बेमानी होगी ।सूत्रों की माने तो इस बार अयोध्या लोकसभा में त्रिकोणीय लड़ाई है ,और गठबँधन भाजपा और कांग्रेस के बीच ज़बर्दस्त फाईट है। लेकिन जब इसकी सच्चाई खंगालने के लिए हमारे संवादाता ने क्षेत्र के लोगों की राय जानी तो यह निकल कर आया है की अयोध्या लोक सभा में सबसे मजबूत और जिताऊ प्रत्याशी अनंदसेन यादव है जो की गठबँधन प्रत्याशी है ।

यादव होने का भी मिलेगा लाभ

क्यूँकि यादव होने की वजह से लोक सभा के समस्त यादव मतदाताओं का मत गठबँधन को जता दिख रहा है। बसपा से गठबँधन होने के नाते दलित मतदाता भी आनंदसेन को दिल खोल कर मतदान करेंगे।

रहा सवाल लोकसभा के साढ़े चार लाख मुस्लिमों का तो वो भी अभी तक रिपोर्टेर कवरेज के ताज़ा सर्वे में तो ६०% मुस्लिम मतदाता का रुझान गठबँधन के प्रत्याशी के तरफ़ ही है।जबकि देखा जाए तो सबसे अधिक मुस्लिम नेता गटबँधन के है ।जिस कारण ये भी माना जा रहा है कि इन मुस्लिम नेताओं की पकड़ अपने समुदाय पर मज़बूती से होने के करण आख़ीर तक अधिक अधिक मुस्लिम मत गटबँधन के ही खाते में जाने वाला है।

मुस्लिम नेताओं की लिस्ट बहुत लम्बी है जिसमें पूर्व विधायक और मंत्री वर्तमान सपा प्रवक्ता अब्बास अली ज़ैदी , रूदौली विधानसभा के तेज़ तर्रार युवा नेता अलाउद्दीन खान जिनकी क्षेत्र के मुस्लिम मतदाताओं सहित क्षेत्र में युवाओं और सभी वर्ग के मतदाताओं पर अच्छी पकड़ है इसी कड़ी बसपा नगर अध्यक्ष चौधरी शहरयार और फिरोज़ख़ान गब्बर का भी नाम है।
बहुत से मुस्लिम नेता हैं जिसमें पूर्व ज़िला पंचायत सदस्य मोहम्मद अली , मोहम्मद आरिफ़, मोहम्मद अफ़सार,जमाल अकबर आदि हैं।
दूसरे नंबर पर कांग्रेस से पूर्व संसद व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री हैं जो की दो बार लोक सभा सांसद रह चुके हैं और साफ़ छवि के नेता हैं लोगों के बीच लोकप्रिय हैं किन्तु जातिगत समीकरण ना बैठा पाने की वजह से सांसद की रेस में पीछे दिख रहे हैं।
तीसरे नम्बर पर भाजपा के प्रत्याशी व निवर्तमान सांसद लल्लू सिंह हैं लल्लू सिंह कई बार विधायक भी रहें हैं और भाजपा पार्टी में अच्छी पकड़ के कारण विधायकी का चुनाव हार जाने के बाद भी पार्टी ने पूर्व में उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया था। मोदी लहर में लल्लू ने जीत भी दर्ज की थी, किंतु इस बार समीकरण उलट है ।पिछली बर दलित और बैकवर्ड ने जहाँ मोदी के वादों से प्रभावित हो कर बसपा से पलायन कर गया था और भाजपा को अपना वोट दिया था किन्तु इस बार दलित अपना नेता मायावती को मान रहा है ,और गठबंधन धर्म निभाने को आतुर दिख रहा है।

अयोध्या के संतों की नाराज़गी भी सांसद जी के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।
ख़ैर कुछ भी हालात तो इस सीट पर भाजपा के नाज़ुक बने हुए है आने वाले वक़्त में देखना दिलचस्प होगा की संसद बनने की रेस में कौन आगे निकलता है।
भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान राजन पांडेय से होने की उम्मीद है क्यूंकि राजन पांडेय एक प्रसिद्ध समाजसेवी है और उनसे सभी वर्ग के लोगों का अच्छा जुड़ाव भी है ये भी एक बड़ा कारण हो सकता है भाजपा के हार का |

17 लाख मतदाताओं की संख्या वाली फैजाबाद सीट पर हर पार्टी की जीत का गणित तय करते हैं 4 लाख मुस्लिम मतदाता
लोकसभा क्षेत्र की पांच विधानसभा में प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला संसदीय क्षेत्र के 1695159 लाख मतदाता करेंगे। भाजपा, कांग्रेस, गठबंधन के बीच त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है।

मुस्लिम मतदाता ही सुनिश्चित करेंगे जीत

कुल वोटर- 1695159 पुरुष-913423,महिला-781691
मुस्लिम वोटर- 4 लाख

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