अगली शताब्दी को एक नवीन पथ पर ले जाने को तत्पर है आर्य समाज
अगली शताब्दी को एक नवीन पथ पर ले जाने को तत्पर है आर्य समाज
सुरेंद्र आर्य
(अध्यक्ष, अखिल भारतीय दयानंद सेवाश्रम संघ)
19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में समाज सुधार के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला आर्य समाज अब एक नए कार्यक्रम के साथ सक्रिय हो रहा है और इसके लिए इसने 4 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपने लक्ष्य का चयन किया है। अगले दो वर्ष में इसने पूरे भारतवर्ष में एक सतत अभियान चलाने का फैसला किया है। इस अभियान का उद्देश्य विश्व बंधुत्व, पारिवारिक मूल्यों का संरक्षण, युवाओं के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाना, नशा मुक्ति, भूमि की उर्वरता को बढ़ाना और ऑर्गेनिक कृषि को बढ़ावा देना होगा। इन उद्देश्यों को पूरा कर अगली शताब्दी की नींव को सुदृढ़ किया जाएगा। आर्य समाज की स्थापना महर्षि दयानंद सरस्वती ने अप्रैल 1875 में बंबई में की थी। महर्षि दयानंद सरस्वती का जन्म गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र के टंकारा में 12 फरवरी 1821 को हुआ था। अगले 20 वर्षों में आर्य समाज की शाखाएं देश के विभिन्न भागों में स्थापित हो चुकी थी। महर्षि दयानंद सरस्वती ने इस संस्था के संचालन के लिए नियम बनाए और इस का संचालन लोकतांत्रिक तरीके से किया गया। आज जब पूरा विश्व मानवीय संघर्षों का सामना कर रहा है, आर्य समाज का मानना है कि हाशिए पर धकेल जा चुके वर्गों और दबे कुचले लोगों की सेवा करना और हर भेदभाव को समाप्त करना इस समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। यह हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हे प्यार आदर और अवसर प्रदान करने में सहायक हों ताकि हमारा देश प्रगति की नई बुलंदियों को छू सके। इस दौरान यह संगठन कई कार्यक्रम आरंभ करने का इरादा रखता है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से आपसी विश्वास, बराबरी और विभिन्न सामाजिक समूहों में आदर को बढ़ाने की दिशा में कार्य होगा।इस कार्यक्रम की उन सभी राज्यों में पूरी तन्मयता से चलाया जाएगा जहां आर्य समाज की पहले से प्रभावशाली पहचान है। साथ ही इसे नए राज्यों तक भी पहुंचाया जाएगा। मनुष्य की अंतहीन इच्छाओं और आर्थिक विकास की लालसा के कारण पैदा हुई जटिलताओं ने परिवारों को बुरी तरह से प्रभावित किया है। इन हालातों के बीच बड़े परिवार विभाजित हो गए हैं। रिश्तों में बढ़ रहे तनाव, दाम्पत्य टकराव इत्यादि ने मानव जीवन को त्रस्त कर रखा है। भावनात्मक और मानसिक परेशानियां बढ़ती जा रही हैं और परिवारों के टूटने तक की नौबत आ रही है। इस पृष्ठभूमि में आर्य समाज एक विशेष कार्यक्रम की शुरुआत करने जा रहा है। इसके तहत पारिवारिक रिश्तों को पुनर्स्थापित और सुदृढ़ किया जाएगा। जहां सदस्यों के बीच आपसी विश्वास और आदर होगा। इससे समाज की सबसे छोटी इकाई यानी परिवार की नींव मजबूत होगी और इसी के आधार पर हम एक शक्तिशाली और मजबूत भारत का निर्माण कर पाएंगे। युवा की भी देश की रीढ़ की हड्डी होते हैं। भारत को भी अपने देश के युवाओं से ढेर सारी उम्मीदें हैं। लेकिन देश के कई इलाकों में युवा वर्ग संकट के दौर से गुज़र रहा है। हमारे युवाओं की इस नकारात्मक स्थिति के लिए नशों का प्रयोग काफी हद तक जिम्मेवार है। आर्य समाज और इसकी सहयोगी संस्थाएं मादक पदार्थों के प्रयोग के खिलाफ एक विशेष रूप से लक्ष्यकृत कार्यक्रम चला कर युवाओं को इन के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूक करेंगी। यह कार्यक्रम केवल दिल्ली में ही नहीं बल्कि पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और हिमाचल प्रदेश में भी चलाया जाएगा। जनसंख्या वृद्धि के साथ खाद्यानों की मांग भी बढ़ी है और अधिक खाद्यान के उत्पादन के लिए कीटनाशकों व अन्य रासायनिक पदार्थों का प्रयोग भी बढ़ा है। रासायनिक खाद के अनियंत्रित प्रयोग के कारण भूमि की गुणवत्ता बुरी तरह से प्रभावित हुई है और घातक रोगों में वृद्धि होती जा रही है। समाज का एक समृद्ध वर्ग आज भले ही ऑर्गेनिक पद्धति से उगाए जाने वाले अनाज का प्रयोग कर पा रहे हैं लेकिन आज भी देश की बहुमत जनसंख्या हानिकारक रासायनिक प्रभावों वाले खाद्यान्नों का उपभोग करने को मजबूर है। आर्य समाज का लक्ष्य आम आदमी को ऑर्गेनिक उत्पादों के विषय में जागरूक करना है ताकि वह बेहतर भोजन का उपभोग कर सकें। आर्य समाज का लक्ष्य महर्षि दयानंद सरस्वती के 10 सिद्धांतों और मूल्यों को आधार बना कर एक ऐसे भारतीय समाज और विश्व का निर्माण करना है जो श्रेष्ठ मानवों पर आधारित समाज हो। यह समर्पित प्रयास इस वर्ष और आने वाले वर्षों में नई पीढ़ी को एक नई दिशा प्रदान करेंगे।