जीपीओ पर अधिवक्ताओं ने किया जोरदार प्रदर्शन
रिपोर्टर जमशेद सिद्दीक़ी
लखनऊ । राजधानी में शनिवार को सामाजिक न्याय अधिवक्ता समिति उत्तर प्रदेश लखनऊ के तत्वाधान में सर्वोच्च न्यायालय उच्च न्यायालयों में पिछड़ा अनुसूचित जाति एवं जनजाति व अल्पसंख्यक वर्ग के जज और सरकारी वकील नियुक्त किए जाने की मांग के समर्थन में हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर अधिवक्ताओं द्वारा एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया।
इस धरना प्रदर्शन में लखनऊ, इलाहाबाद, बहराइच, प्रतापगढ़, बाराबंकी, उन्नाव प्रदेश के अलग-अलग जनपदों से सैकड़ों की संख्या में आए अधिवक्ताओं ने जज बनाने मांग की । साथ ही कहा कि पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति का कोई जज नहीं बनाया जाता है
वहीं प्रदर्शन कर रहे अधिवक्ता समिति के संयोजक शिव पूजन मौर्य ने बताया कि भारत देश की जनता द्वारा दिए गए टैक्स से ही जजों एवं सरकारी वकीलों का वेतन दिया जाता है परंतु उस धनराशि का भुगतान वर्ग विशेष को ही किया जा रहा है ।
वहीं मौर्या ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय में पिछड़े वर्ग एवं अनुसूचित जाति व जनजाति का भी जज नहीं है और पिछड़े वर्ग से 2 सरकारी वकील वाद धारक जैसे पद पर महत्त्वहीन पद पर नियुक्ति है साथ ही मौर्या ने कहा कि फरवरी 2018 के आंकड़ों के अनुसार देश के सभी उच्च न्यायालय में कुल 676 जज हैं जिसमें मात्र 13 जज पिछड़े वर्ग एवं अनुसूचित जाति व जनजाति से हैं । इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कार्यरत कुल 99 जजों में पिछड़ा वर्ग में 2 जज एवं अनुसूचित जाति के एक जज हैं ।
वहीं मौर्या ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में पिछड़ा वर्ग एवं अनुसूचित जाति का एक ही जज कार्यरत नहीं है । वहीं प्रदर्शन कर रहे अधिवक्ताओं ने कहा है कि वर्तमान सरकार ने सबका साथ सबका विकास का नारा देकर केंद्र और राज्य में सरकार बनाई।
जिसमें समाज के सभी वर्गों ने सहयोग किया किंतु वर्तमान सरकार आम जनता के द्वारा दिए गए टैक्स से समाज के केवल वर्ग विशेष को लाभ पहुंचाने का कार्य कर रही है और समाज में अन्य वर्गों को लाभ से वंचित रखा जा रहा है।
और इलाहाबाद उच्च न्यायालय की स्थापना के समय से ही पिछड़े वर्ग अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अल्पसंख्यक वर्ग की जज व सरकारी वकील न बनाए जाने से इन वर्गों के अधिवक्ताओं में व्यापक रोष है। जिसको लेकर आज जमकर विरोध प्रदर्शन किया।