लखनऊ की अज़ादारी को आज फिर दुनिया ने सलाम किया
जल संचयन (Safe water) के रूप में मन रहा है आठवीं मोहर्रम
लखनऊ की अज़ादारी की इस पहल को आज दुनिया के तमाम देशों ने अपनाया
लखनऊ के अज़ादारों ने कर्बला के प्यासे शहीदों को याद करने के खास दिन आठवीं मोहर्रम को ‘जल संचयन’ (Safe water) के रूप में मनाने का फैसला किया है। लखनऊ की इस पहल को पूरे देश और दुनिया के तमाम देशों ने स्वागत करते हुए इसे अपनाया है।
मानवता की रक्षा और आतंकवाद के विरूद्ध आंदोलन करने वाली अज़ादारी किसी मजहब की बंदिशों तक सीमित नहीं है। आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और साम्प्रदायिक सौहार्द के रंगो वाले अनुष्ठान अज़ादारी तमाम सामाजिक सरोकारों से जुड़ी है।
प्यास और पानी की एहमियत बताने वाली तारीख आठवीं मोहर्रम हजरत अब्बास की शहादत और उनकी 6 साल की भतीजी की प्यास के एहसास का दिन है। आज के दिन रोज-ए-आशूर का वो मंजर याद किया जाता है जब हुसैन के खेमे में प्यास से तड़प रहे छोटे-छोटे बच्चों के लिए पानी लेने के लिए हजरत अब्बास कर्बला की फरात नदी के किनारे पंहुचे। मश्क मे पानी भरा ही था कि यजीद की फौज ने मश्क पर तीर चलाकर मश्क खाली कर दी। और फिर निहत्थे हजरत अब्बास को शहीद कर दिया गया। बच्चों की उम्मीद हजरत अब्बास शहीद हो गये और बच्चे प्यासे रह गये।
पुराने जमाने में पानी भरने या पानी स्टोर करने में मश्क का प्रयोग होता था। इसलिए कर्बला के शहीदों की शहादत के वाकिये में मश्क का जिक्र बार-बार आता है। आठ मोहर्रम के दिन प्यासे बच्चों के लिए हजरत अब्बास ने मश्क में पानी भरा था लेकिन आतंकी यजीदियों ने तीरों से मुश्क चेद दी थी।
यही कारण है कि लखनऊ के अज़ादारों ने आज आठवीं मोहर्रम को जल संचयन (Safe water)के रूप में मनाये जाने की जो एडवाइजरी जारी की उसका लोगो (चिन्ह) हुसैनी लश्कर के प्रतीक अलम में टंगी मश्क है। जो पानी की अहमियत को दर्शाती है।
-नवेद शिकोह
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