सत्ता के दलाल हैं वसीम रिज़वी सपा के प्रदेश उपाध्यक्ष का आरोप
रिपोर्ट इमरान ख़ान
वसीम रिज़वी ने पूरा शिया वक्फ़ बोर्ड बेच खाया है ये सत्ता का दलाल है अपनें स्वार्थ के लिये ये किसी भी हद तक गिर सकता है-जमाल अकबर
मोहसिन रज़ा के पुर्खे गैर मुसलिम तथा इनके दादा का नाम बेचू लाल रहा होगा
लखनऊ मोहसिन रजा आठवीं कक्षा पास एक पढे लिखे काबिल मंत्री हैं उनका ये कथन की भारत के मुसलमानों के पुर्वज हिंदू थे पूरी तरहां सत्य से परे तथा सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के उद्देश्य से दिया गया बयान है ।
हो सकता है मोहसिन रज़ा के पुर्खे हिंदू रहे हों तथा मोहसिन रजा के दादा का नाम बेचू लाल हो ।
उक्त विचार समाजवादी पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष जमाल अकबर नें पत्रकारों के समक्ष एक संक्षिप्त वार्ता में व्यक्त किये ।
जमाल अकबर आज हुसैनाबाद स्थित अपनें निवास पर पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे जिसमें उनहूने अपने व्यक्तित्व के अनुरूप हर सवाल पर खुल कर बेबाक जवाब दिये ।
विगत दिनों ड्रेस कोड एव मुस्लिम मामलों पर राज्य मंत्री मोहसिन रजा़ की अनर्गल बयान बाजी पर पूछे गये सवाल पर जमाल अकबर ने कहा की भारत विभिन्न संस्कृतियों से मिलकर बना एक विशाल देश है । पुराने समय में अरब देशों से मधुर संबंधों के चलते व्यापार होता था तथा अरब देशों से व्यापारी भारत आते रहते थे जिनमें से कुछ को यहाँ की पृष्ठभूमि कुछ को यहाँ की मोहब्बत ने यही पर बसनें को विवश किया तथा वर्तमान में अधिकतर मुसलमान उनहीं के वंशज है ।
यदी मोहसिन रजा को लगता है की भारतीय मुसलमानों के पुर्वज हिंदू थे तो सर्व प्रथम वे अपना डी,एन,ए, टेस्ट करायें ।
औरों को तो मैं नही जानता किंतु मोहसिन रज़ा के पुर्खे जरूर हिंदू रहे होंगे तथा इनके दादा का नाम जरूर बेचू लाल रहा हो गा ।
शिया वक्फ़ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी के बयान की बाबरी मस्जिद शियों की संपत्ति है तथा वहाँ मंदिर बन्ना चाहिये के बाबत पूछे गये सवाल पर श्री जमाल अकबर ने कहा की ।
वसीम रिज़वी ने पूरा शिया वक्फ़ बोर्ड बेच खाया है ये सत्ता का दलाल है अपनें स्वार्थ के लिये ये किसी भी हद तक गिर सकता है सत्ता आती जाती रहती है किंतु चटूकार हर जगहां चटूकारिता के बल पर अपने हित साध लेते हैं यही कार्य वसीम रिज़वी काफी समय से विभिन्न सरकारों के शासनकाल में करता आया है और भगवा सरकार में स्वय को रंग कर अपने भ्रष्ट कार्यकाल को ढकना चाह रहा है ।
यदी बाबरी मस्जिद शिया वक्फ़ बोर्ड की संपत्ति है तो शिया वक्फ़ बोर्ड और वसीम रिज़वी अब तक कहाँ थे जबकी सुन्नी वक्फ़ बोर्ड पचासों सालों से बाबरी मस्जिद की पैरवी कर रहा है ।
हो सकता है की बाबरी मस्जिद शिया वक्फ़ बोर्ड की संपत्ती हो किंतु एैसे कई प्रमाण मिलतें हैं जब शियों ने सुनसान जगहों पर विरान पडी मस्जिदों तथा इमामबाडों को सुन्नी समुदाय के सुपुर्दगी में दे दिये ता की ईबादतगाहें आबाद रहें ।
दी हुई चीज़ पर दोबारा हक़ जताने का कोई अधिकार नही बनता ।
बाबरी मस्जिद रामजन्मभूमि मुद्दे पर पूछे गये सवाल पर श्री जमाल अकबर ने कहा की भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है तथा भारत का संविधान विभिन्न धर्मों,संस्कृतियों, तथा वर्गों, के लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है । तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अपनी इच्छा से अपने धर्म का चुनाव, तथा क्या पहन्ना है क्या खाना है उक्त सारे अधिकार देता है ।
जिस तरहां लोकतंत्र में अंतिम प्रभूसत्ता जनता के हाथ में रहती है जिसका उत्तर दायित्व कार्य पालिका का होता है । उसी प्रकार जनता के अधिकारो के लिये सर्वोच्च संसथा न्याय पालिका है ।
मामला न्यायालय में विचाराधीन है तथा वहाँ से जो भी फैसला आये वो फैसला सभी 125-करोड भारतीयों को स्वीकार्य करना चाहिये ।
यदी फैसला मंदिर के पक्ष में आता है तो मुस्लिम समूदाय को संविधान का सम्मान करते हुए उसे स्वीकार्य करना चाहिये तथा मंदिर निर्माण में पूरा सहयोग करना चाहिये ।
और यदी न्यायालय का फैसला मस्जिद के पक्ष में आता है तो भी 125-करोड भारतीयों को सासम्मान स्वीकार्य करना चाहिये तथा सहयोगनात्मत आचरण रखना चाहिये ।
सनद रहे की शिया कालेज छात्र संघ के अध्यक्ष रहे श्री जमाल अकबर ने छात्र राजनीति से अपना सफर शूरू किया था ।
अपनी बेबाक टीप्प्णीयो, तथा खुले विचारों के चलते अल्पसंख्यकों के सभी वर्गों में लोकप्रिय श्री जमाल अकबर ने सभी वर्गों के लिये कार्य किये है तथा सभी वर्गों में काफी़ लोकप्रिय हैं ।
उनकी इन्हीं क्षमताओं के परिणाम स्वरूप समाजवादी पार्टी ने उनहे अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष पद पर नामित किया ।
श्री जमाल अकबर काफी समय से समाजवादी पार्टी से जुडे रहे हैं ।