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कोविड के खिलाफ लड़ाई में ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने में जुटी सिंजेंटा, उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों को 100 बेड किए दान

कोविड के खिलाफ लड़ाई में ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने में जुटी सिंजेंटा, उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों को 100 बेड किए दान

– अपनी सीएसआर पहल के माध्यम से सिंजेंटा ने 15 राज्यों में 2000 बेड दिए, ताकि अस्पताल के संसाधनों पर दबाव को कम करने में मदद मिल सके और यह सुनिश्चित हो सके कि प्रत्येक रोगी को उचित चिकित्सा के लिए बेड मिले

-लखनऊ के स्वास्थ्य विभाग को दिये 100 मेडिकल बेड

लखनऊ: कृषि क्षेत्र की प्रमुख कंपनी सिंजेंटा इंडिया ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश की ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने का संकल्प लिया है। कंपनी अपनी सीएसआर पहल के तहत ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों के लिए बेड उपलब्ध करा रही है। इसी के तहत उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग को चादर और तकिए के साथ 100 मेडिकल बेड दिये गये। इसके लिए आयोजित क्रायक्रम में लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संजय भटनागर और कंपनी के कई अधिकारी उपस्थित थे।

बेड देने के साथ-साथ सिंजेंटा फ्रंटलाइन वर्कर्स और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को सैनिटाइजर, मास्क, पीपीई किट भी उपलब्ध करा रही है। कंपनी द्वारा ग्रामीण और अस्थायी अस्पतालों को देशभर में परीक्षण में तेजी लाने के लिए हजारों रैपिड टेस्ट किट भी प्रदान किए गए हैं।

इस पहल की सराहना करते हुए उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, मातृ एवं शिशु कल्याण विभाग के माननीय मंत्री श्री जय प्रताप सिंह ने कहा, “महामारी के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों तक समय पर चिकित्सा सुविधा और मदद पहुंचाना बेहद जरूरी है। सिंजेंटा इंडिया द्वारा देश के ग्रामीण अस्पतालों के लिए मेडिकल बेड उपलब्ध कराने का प्रयास सराहनीय है। सिंजेंटा की टीम ने हमारे विभाग को ऐसे 100 बेड समर्पित किये हैं। इनका इस्तेमाल उन अस्पतालों के लिए किया जाएगा, जहां अधिक संख्या में मरीज पहुंचते हैं।

सिनजेंटा इंडिया के प्रबंध निदेशक राफेल डेल रियो ने कहा, “हम अस्पतालों से लगातार संपर्क में हैं। हम उन्हें स्थायी समर्थन प्रदान करने की पहल कर रहे हैं। इसलिए, मास्क, दस्ताने, पीपीई किट और सैनिटाइज़र जैसे बुनियादी सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने के अलावा, हम ऑक्सीजन कंसंटेटर, बेड और टेस्टिंग किट सहित चिकित्सा उपकरण भी नि:शुल्क मुहैया करा रहे हैं। देखा जा रहा है ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, लेकिन बेड आसानी से उपलब्ध हैं। इसलिए, हमने अस्पताल के कुछ संसाधनों पर दबाव को कम करने में मदद करने के लिए अस्पतालों के बेड मुहैया कराने के लिए निवेश करने का फैसला किया।”

सिनजेंटा इंडिया के चीफ सस्टेनेबिलिटी ऑफिसर डॉ के सी रवि ने कहा, “ये मेडिकल बेड ग्रामीण अस्पतालों में आने वाले अधिक मरीजों को समायोजित करने में मदद करेंगे और इस साल आयी दूसरी लहर के कारण ग्रामीण अस्पतालों में बढ़े बोझ को कम करेंगे।”

उन्होंने कहा, किसानों और ग्रामीणों के लिए इस महामारी के समय सही जानकारी मिलना मुश्किल होता है। सिंजेंटा एक बार फिर किसानों को विश्वसनीय जानकारी और कोविड सहायता प्रदान करने के लिए एक विशेष किसान कॉल सेंटर स्थापित कर रहा है, जिसमें उनके और उनके परिवार के सदस्यों के लिए मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को संबोधित करना शामिल है। कॉल सेंटर नौ भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं में जानकारी प्रदान करेगा। “इस कॉल सेंटर से आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के किसानों, उनके परिवारों और कृषि श्रमिकों को लाभ होने की उम्मीद है। यह पिछली बार महामारी के पहले चरण के दौरान बहुत मददगार साबित हुआ था।

डॉ. रवि ने कहा, “किसान आमतौर पर अप्रत्याशित मौसम, कीटों के संक्रमण, पौधों की बीमारियों और बाजार की बदलती परिस्थितियों जैसे विभिन्न मुद्दों का सामना करते हैं और महामारी के दौरान, उन्हें घबराहट से बचाने के लिए समय पर और विश्वसनीय जानकारी मुहैया कराना अनिवार्य हो जाता है ताकि वे व्यवधान से बचें। इस राष्ट्रीय हेल्पलाइन को फिर से शुरू करके हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि किसानों को उनकी कृषि और खेती के मुद्दों को रखने और अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए एक माध्यम उपलब्ध हो।’

सिंजेंटा ने कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान में देशभर में कोविड सहायता कार्यक्रम शुरू किया था। इन कार्यक्रमों के जरिये 1.5 मिलियन से अधिक किसानों को लाभ हुआ था। पहली लहर के दौरान हमने लॉकडाउन के बीच किसानों के लिए बाजार से जुड़ाव प्रदान करने की पहल की थी, जिससे किसानों को अपनी उपज का 2,442 मीट्रिक टन बेचने में मदद मिली और इससे वे 4.87 करोड़ रुपये कमाये।

सिजेंटा ने एनजीओ पार्टनर अक्षय पात्र फाउंडेशन और अन्य एनजीओ के साथ मिलकर महामारी की पहली लहर के दौरान देश भर में 100 से अधिक एपीएमसी मंडियों में बड़े पैमाने पर खाद्य वितरण अभियान के साथ 3,00,000 से अधिक किसानों, खेत श्रमिकों और मजदूरों का समर्थन किया था।

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