उत्तर प्रदेश

पेट्रोलियम पदार्थों के बाद अब ज़रूरी दवाओं की कीमत भी सरकारी नियंत्रण में नहीं, कभी भी घट बढ़ सकते हैं दाम

नई दिल्ली, दवाओं की कीमतों में बढ़ोत्तरी को लेकर जारी अटकलों को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने सोमवार को स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार ने किसी भी आवश्यक दवा की कीमतों में वृद्धि नहीं की है। उन्होंने कहा कि, कुछ ऐसी जरूरी दवाओं की कीमतों में मुद्रास्फीति के रुझान के अनुसार इजाफा या कमी हो सकती है, जो थोक मूल्य सूचकांक से जुड़ी हैं और जिनकी कीमत बहुत कम है।


मनसुख मांडविया ने कहा कि सरकार ने इनके दाम में कोई बढ़ोतरी नहीं की है और थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) से जुड़ी एवं बहुत कम कीमत वाली केवल कुछेक आवश्यक दवाओं की कीमत में मुद्रास्फीति के रुझान के अनुसार स्वत: वृद्धि या गिरावट देखी जा सकती है। मांडविया ने कहा, डब्ल्यूपीआई से जुड़ी कुछ आवश्यक दवाओं में डब्ल्यूपीआई की गतिविधि के अनुसार स्वत: उतार या चढ़ाव देखा जा सकता है। इन दवाओं की कीमत कुछ ही रुपए है और यदि डब्ल्यूपीआई में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है, तो दाम कुछ पैसे ही बढ़ेंगे।

उन्होंने कहा कि इन दवाओं की कीमत में सरकार की कोई भूमिका नहीं है तथा उसने दाम में कोई बढ़ोतरी नहीं की है और ना ही उसकी ऐसा करने की कोई योजना है। जब डब्ल्यूपीआई में गिरावट आती है, तो इन दवाओं को दाम भी स्वत: गिरते हैं। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) के तहत मूल्य नियंत्रण के दायरे में आने वाली दवाओं में अप्रैल से मूल्य वृद्धि की हाल में अनुमति दे दी थी, जिसके बाद कुछ लोग इसे लेकर चिंता जता रहे हैं।

एनपीपीए ने जिन दवाओं की कीमतों में वृद्धि को मंजूरी दी थी वह राष्ट्रीय आवश्यक औषधि सूची (एनएलईएम) के तहत मूल्य नियंत्रण के तहत आती हैं। इनके मूल्य में वृद्धि एक अप्रैल से प्रभाव में आ चुकी है। इन दवाओं में पैरासीटामोल, बैक्टीरियल संक्रमण के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एंटीबायोटिक्स, एंटी एनीमिया, विटामिन और मिनरल्स शामिल हैं।

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