उत्तर प्रदेशलखनऊ

रिटायरमेंट के दो दशक बाद अपना पहला काव्य संग्रह लेकर आए 80 वर्षीय ‘युवा’ कवि, रहे 69 वर्षों तक कविता से दूर

रिटायरमेंट के दो दशक बाद अपना पहला काव्य संग्रह लेकर आए 80 वर्षीय ‘युवा’ कवि, रहे 69 वर्षों तक कविता से दूर

 

लखनऊ, फरवरी 18, 2021: अमूमन जिस उम्र में लोग रिटायरमेंट के बाद अपनी अगली पीढ़ी को जिम्मेदारी सौंप अपना जीवन व्यतीत करते हैं, उस उम्र में श्री योगेन्द्र नाथ द्विवेदी अपना पहला काव्य संग्रह लाए हैं. इस काव्य संग्रह का विमोचन गुरुवार, 18 फरवरी की शाम इंदिरानगर स्थित कैफ़े रेपर्टवाह में पद्मश्री श्री योगेश प्रवीन जी के कर-कमलों से हुआ. पेशे से बैंकर रहे, जीवन की शतकीय पारी की ओर अग्रसर श्री द्विवेदी ने अपने उम्र की आठवीं दहाई में अपना पहला काव्य संग्रह लोकार्पित करने का निर्णय लेकर उन लोगों को प्रेरणा दी है,

जोयह मान बैठे हैं कि रिटायरमेंट के बाद जीवन समाप्ति की ओर अग्रसर हो जाता है. उनके इस काव्य संग्रह में उनकी रचित 53 कविताओं का संकलन है, जिनमें से अधिकांश उन्होंने बैंक की सर्विस से रिटायर होने के बाद लिखी हैं.

पुस्तक विमोचन कार्यक्रम की शुरुआत मशहूर किस्सा गो श्री हिमांशु बाजपेई ने अपने खास लखनवी अंदाज में आए हुए खास मेहमानों का परिचय देते हुए किया. श्री नीलेश द्विवेदी ने मेहमानों का स्वागत उन्हें पुष्पगुच्छ देते हुए किया. इसके बाद उन्होंने मेहमानों को कवि श्री योगेंद्र नाथ द्विवेदी के इस काव्यात्मक सफर की जानकारी दी।

श्री हिमांशु बाजपेई ने कहा कि यह बेहद दिलचस्प पहलू है कि जिस उम्र में लोग अपनी साहित्यिक यात्रा को विराम देते हैं, उस उम्रके श्री योगेंद्र नाथ द्विवेदी अपना पहला काव्य संग्रह लेकर आए हैं.

पद्मश्री योगेश प्रवीन जी ने बताया कि उन्होंने ‘प्रेम पयोधि’ की एक एक कविता पढ़ी है. उन्हें खास बात यह लगी कि इसमें कहीं भी बनावट नहीं दिखी. कवि के दिल मे जो आया उसे हूबहू कलम के जरिए कागजों के उतार दिया.

इसके बाद श्री हिमांशु बाजपेई ने श्री योगेंद्र नाथ द्विवेदी से बातचीत करते हुए इस सिलिसिले को आगे बढ़ाया. इस दौरान श्री द्विवेदी ने राज उजागर किया कि प्रेम पयोधि की कविताएं पढ़कर श्री योगेश प्रवीन जी ने उनके शीर्षक दिए. उन्होंने बताया कि जब वे 12वीं के छात्र थे तो इटावा में एक कवि सम्मेलन के दौरान काव्य पाठ किया. कार्यक्रम में स्व. गोपाल दास नीरज जी भी मौजूद थे और उन्होंने उनकी कविताओं को सुनकर इतने खुश हुए कि उन्होंने सबसे पहले ताली बजाई.

कवि सम्मेलन के बाद उनके जीजा, जो उनके अभिभावक भी थे, उन्होंने उनकी कविता के रुचि को उनके कैरियर के लिए घातक बताया और फिर कभी कविता न करने का इशारा उनकी कविता फाड़ते हुए दे दिया. उनके जीजा जी ने श्री द्विवेदी को आईएएस बनने के लिए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी भेजा, जहां उन्हें फिराक गोरखपुरी, हरिवंश राय बच्चन, महादेवी वर्मा, और रामकुमार वर्मा जैसे दिग्गज कवियों का सानिध्य मिला. श्री द्विवेदी ने बताया कि वे 69 वर्ष कविता से दूर रहा. इस दौरान वे मौका मिलने पर स्वर्गीय नीरज जी की कविताओं का पाठ किया करते थे. रिटायरमेंट के बाद इनकी पत्नी स्वर्गीया शैलजा जी और पुत्र श्री नीलेश द्विवेदी ने फिर से कविताएं लिखने के लिए आग्रह और प्रेरित किया. इस मौके पर श्री द्विवेदी ने अपनी पहली कविता सुनाई जिसमें पृथ्वी और आकाश के प्रेम का सुंदर चित्रण किया गया है.

श्री हिमांशु बाजपेयी ने श्री द्विवेदी के सृजनात्मक/रचनात्मक सफ़र पर उनसे साक्षात्कार कर वहां उपस्थित लोगों को उनके जीवन के अनछुए पहलुओं से रूबरू कराया.

पहली जनवरी, 1942 को इटावा में जन्में श्री योगेंद्र नाथ द्विवेदी दर्शनशास्त्र में एम.ए. और फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एल.एल.बी.करने के बाद सन 1966 में प्रतिष्ठित भारतीय स्टेट बैंक से परिवीक्षाधीन अधिकारी (पी.ओ.) के बतौर जुड़े और फिर यहीं से दिसम्बर 2001 में विभिन्न ज़िम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए सेवानिवृत्त हुए. वे बताते हैं कि बैंक की नौकरी के दौरान एक बार वे काव्य-पाठ के लिए गए तो उनके घर के बड़े-बुजुर्गों ने इस पर आपत्ति की. उसके बाद उन्होंने बहुत दिनों तक अपने शौक को लोगों के सामने जाहिर नहीं होने दिया.

श्री नीलेश द्विवेदी, डिप्टी जनरल मैनेजर-पर्सनल बैंकिंग,स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया अपने पिता के पहले काव्य संग्रह को लेकर काफी भावुक हैं. वे कहते हैं, “यह मेरे और परिवार के लिए भावनात्मक और सृजनात्मक रूप से बेहद ही विलक्षण क्षण है. पिता जी ने उस उम्र में अपना काव्य संग्रह लोकार्पित करने का निर्णय लिया, जिस उम्र में लोग रिटायरमेंट के बाद कलम रख देते हैं. उनका यह प्रयास निश्चित तौर पर समाज को सन्देश देगा कि रिटायरमेंट के बाद भी आप अपने आप को सृजनात्मक रूप से सक्रिय रखा, समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन सकते हैं.”

इस अवसर पर आयोजित काव्य गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में कवि डॉ सुरेश, विशिष्ट अतिथि के रूप में कवि गोपाल चतुर्वेदी, कवि श्री पवन जी, कवि श्री मनीष शुक्ल और श्री अभिषेक जी जैसे कवियों ने शिरकत की. कार्यक्रम का औपचारिक समापन श्री योगेंद्र नाथ द्विवेदी के पुत्र और डीजीएम- पर्सनल बैंकिंग, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, श्री नीलेश द्विवेदी द्वारा कार्यक्रम में आए में मेहमानों को आभार ज्ञापित करने के साथ हुआ.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Back to top button