उत्तर प्रदेशलखनऊ

रिटायरमेंट के समय की गई रिकवरी पूरे परिवार को प्रताड़ित करने जैसा है 23 साल बाद की गई रिकवरी जीवन जीने के अधिकार को प्रभावित करने वाला कार्य- अधिवक्ता विजय पाण्डेय

रिटायरमेंट के समय की गई रिकवरी पूरे परिवार को प्रताड़ित करने जैसा है
23 साल बाद की गई रिकवरी जीवन जीने के अधिकार को प्रभावित करने वाला कार्य- अधिवक्ता विजय पाण्डेय

जितेन्द्र कुमार खन्ना.विशेष संवाददाता-
राज्य मुख्यालय लखनऊ.

लखनऊ I सेना कोर्ट लखनऊ ने महाराजगंज निवासी कमल देव यादव से पेंशन जाते समय भारत सरकार रक्षा-मंत्रालय द्वारा करीब चार लाख रुपए की रिकवरी को वापस वापस करने का आदेश न्यायमूर्ति उमेश चन्द्र श्रीवास्तव और अभय रघुनाथ कार्वे की खंड-पीठ ने सुनाया, मामला यह था कि याची कमल देव वर्ष 1995 में गढ़वाल रायफल में भर्ती हुआ और 23 वर्ष देश की के बाद वर्ष 2019 में रिटायर हुआ, रिटायरमेंट के समय भारत सरकार रक्षा-मंत्रालय को यह जानकारी हुई कि याची की भर्ती ग्रुप ‘जेड’ में हुई थी और उसे ग्रुप ‘वाई’ के लाभ दिए गए जो उसको मिलने वाली धनराशि से अधिक थी l
भारत सरकार रक्षा-मंत्रालय को जैसे ही अपनी गलती का एहसास हुआ उन्होंने बगैर कारण बताओ नोटिस दिए चार लाख रुपए याची की पेंशन से काट लिया, जिसके खिलाफ की गयी अपील को को भी यह कहकर ख़ारिज कर दिया गया कि, विभागीय गलती की वजह से दिए गए सार्वजनिक पैसे को किसी भी व्यक्ति को नहीं दिया जा सकता जबकि, वह उसके लिए हकदार ही न हो l उसके बाद पीड़ित ने सशत्र-बल अधिकरण लखनऊ के समक्ष 2019 में मुकदमा दायर किया, खण्ड-पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान भारत सरकार ने प्रतिवाद करते हुए तर्क दिया कि पब्लिक का पैसा विभाग की गलती से मिलने का लाभ किसी व्यक्ति विशेष को नहीं है, इसलिए जैसे ही विभाग के संज्ञान में आया उसने उस पैसे को पेंशन से काट लिया लेकिन, याची के अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय और गिरीश तिवारी ने याची के पक्ष में दलील देते हुए कहा 23 वर्षो में दिया गया पैसा रिटायरमेंट के समय एकमुश्त काट लेना याची और उसके परिवार को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने और पूरे परिवार के जीवन स्तर को प्रभावित करने वाला है जबकि, उसकी कोई गलती न हो l
सुप्रीमकोर्ट के दिशा-निर्देश किसी भी विभाग के ऐसा करने पर रोंक लगाते है l दलीलों को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति उमेश चन्द्र श्रीवास्तव और अभय रघुनाथ कारवे की खण्ड-पीठ ने भारतसरकार रक्षा-मंत्रालय को आदेशित किया कि 8% ब्याज के साथ चार लाख रुपए याची को वापस किया जाय, यदि चार महीने के अंदर ऐसा न किया गया को 8% अतिरक्त व्याज भी देना होगा l

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