आज कल के जमाने मे निष्पक्ष पत्रकारिता जान की दुश्मन बन जाती है
पत्रकारिता पर विशेष
आज कल के जमाने मे निष्पछ पत्रकारिता जान की दुश्मन बन जाती है।पत्रकार एक सच्चा समाज सेवक होता है और निर्भीक होकर देश व समाज की सेवा करना चाहता है किन्तु कुछ लोग पत्रकारों के दुश्मन होते हैं।जो पत्रकार को धमकी ही नही देते बल्कि बहुत कुछ कर डालते हैं आज शासन को एेसे लोगों को चिन्हित कर उनपर कार्यवाई करके पत्रकारिता का सहयोग करने की प्रबल आवश्यकता है।
किन्तु शासन क्या करेगा ज्यादा तर सरकारी विभाग के वे लोग जो किसी स्वास्थ्य केन्द्र पर या किसी विद्यालय मे तैनात हैं एेसे चिकित्सक व अध्यापक पत्रकारों को बहुत गिरी नजरों से देखते हैं ग्रामीण छेत्र के स्वास्थ्य केन्द्रों व विद्यालयों शिछक अथवा चिकित्सक ज्यादा तर गायब रहते हैं या फिर खाना पूर्ति कर वापस चले जाते हैं घर बैठ कर या फिर अपना कार्य निबटाते हुये सरकार से वेतन ले रहे हैं यदि इनके स्वास्थ्य केन्द्र या विद्यालय मे उपस्थित न रहने का कारण कोई पत्रकार पूंछे तो ये उल्टा आंख दिखाते हैं और कहते हैं मीडिया क्या है मै कुछ नही समझता ऐसे लोगों की नकेल शासन प्रशासन को कसना है।
लेकिन नीचे से ऊपर तक सब एक दूसरे के चहेते बैठे हैं तो घंटी कौन गले मे बिल्ली के बांधे इस तरीके की समस्याओं व लोगों से निबटने के लिये पत्रकार जगत को एकजुट होने की प्रबल आवश्यकता है जैसे पत्रकार वंधु नाना प्रकार के अन्याय घोटाला भ्रष्टाचार उजागर करते हैं वैसे ही उक्त प्रकार के चिकित्सक शिछक या अन्य जो कोई भी हो की विधवत छानबीन सच्चाई पर प्रकाश डालें ताकि जो मीडिया को कुछ नही समझते वे मीडिया को सब कुछ समझने लगें।भारतीय प्रेस काउंसिल के अध्यछ मा श्री मार्कंडेय काटजूजी ने बहुत बढिया आदेश दिया है।
यह पत्रकारों के हित मे है की यदि यदि पत्रकारों के कार्य मे पुलिस ब्यवधान उत्पन्न करेगी तो पुलिस कर्मिपर कार्यवाई होगी या sspपर कार्यवाई होगी मा प्रेस काउंसिल अध्यछ का यह आदेश भारत के सभी राज्यों को हुआ है यह आदेश बहुत ही सराहनीय है लेकिन पुलिस के लोग कम अब दूसरे विभागों के लोग पत्रकारों पर कुछ ज्यादा ही तंज सकते हैं यहां तक कि शासन भी पत्रकारों को कोई तोहफा देना नही चाहता।मैने मा मुख्यमंत्री जी को नवम्बर 2017मे एक पत्र लिखा था जिसमे लिखा था कि पत्रकार अवैतनिक होते हुये भी देश व समाज सेवा मे सदैव तत्पर रहता है सभी पत्रकारों के पास रहने को घर तक नही है जिनको एक एक आवास की
आवश्यकता है यही नही पत्रकारों की जान हमेशा खतरे मे रहती है सुरछा ब्यवस्था भी चाहिये बच्चों की पढाई लिखाई की भी समस्या रहती है इस प्रकार की तमाम समस्यायें पत्रकारों के पास हैं लेकिन शासन की ओर से पत्रकारों के हित मे कुछ होता दिखाई नही पड रहा इससे तो यही प्रतीत होता है कि पत्रकार वंधु नेताओं के समाचार पोस्ट कर उन्हे आगे बढाते हैं लेकिन चुनाव जीतने या सच्चा पाने के बाद नेता जी पत्रकारों को भूल जाते हैं यह बहुत बडी बिडम्बना है।जय हिन्द जय भारत।