मशावरती काउंसिल ऑफ इंडिया ने किया संवाददाता सम्मेलन

लखनऊ। मशावरती काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य मोहम्मद अराफात ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मशावरती काउन्सिल का इजलास बतारीख 20 जनवरी को फिरोजाबाद में हुआ जिसमें निम्र करारादात कसरत ए राय से तय पाये मुल्क के एक बड़े सूबे की दलित महिला व बड़ी नेता मोहतरमा मायावती के लिए भाजपा की एक महिला नेता ने जिस तरह की अभद्र भाषा का प्रयोग कर मोहतरमा मायावती की तौहीन की है। वास्तव में वो हर दलित व कमजोर तबके की तौहीन है।
मशावरती काउन्सिल मांग करती है कि भाजपा के कौमी सदर और मुल्क के वजीर ए आज़म माफी मांगें और ऐसी बदजुबानी के लिए उक्त महिला को पार्टी से बेदखल करें। मशावरती काउन्सिल का यह इजलास रिजर्वेशन की नयी पहल का स्वागत करता है लेकिन लम्बे समय से वज़ीर ए आज़म के दफ्तर में मौजूद सच्चर कमिशन की रिपोर्ट के मुताबिक सामाजिक आर्थिक और तालीमी ऐतबार से दलितों से भी ज्यादा कमजोर स्थिति के मुस्लिम समाज के लिए रिजर्वेशन की मांग करती है तथा अक्षरता इस रिपोर्ट को तत्काल लागू करने का मुतालबा करती है। काउन्सिल के सदस्य मोहम्मद अराफात ने बताया कि पिछले पांच साल से हिन्दुस्तान की दूसरी आबादी अल्पसंख्यक अपने को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने गठबंधन के सदस्यों से मांग की कि वे अल्पसंख्यकों के दर्द को समझते हुए उसे मुख्यधारा में लायें। उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्त में बेहद जरूरी है कि सेक्युलर सियासी जमातें ऐसा माहौल बनाएं है कि मुसलमानों के दिल में हमारे सेक्युलर ढांचे और भाईचारे में यकीन बढ़े और उन्हें महसूस हो कि हम जिस पार्टी या गठबंधन में हैं उसकी पूरी हिमायत कर रहे हैं वो हकीकत में हमारी भावनाओं व स्थिति के प्रति संवेदनशील हैं।