उत्तर प्रदेशलखनऊ

भारत में गायनेकोलोजिक कैंसर से पीड़ित लगभग 70 फीसदी महिलाओं में बीमारी का पता एडवांस्ड स्टेज में चलता है

जितेन्द्र कुमार खन्ना- विशेष संवाददाता

लखनऊ।गायनेकोलोजिक कैंसर के लक्षणों, संकेतों और जाँच सुविधाओं पर जागरुकता की जरूरत : डॉ. समीर गुप्ता
लखनऊ, 26 सितंबर : आज लखनऊ में आयोजित एक प्रेस वार्ता में मशहूर सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, डॉ. समीर गुप्ता ने बताया कि महिलाएं संकेत व लक्षणों को समय पर पहचानकर गायनेकोलॉजिक कैंसर के जोखिम को कम कर सकती हैं, क्योंकि इससे उन्हें समय पर जाँच और इलाज करवाने में मदद मिलती है। महिलाओं को प्रभावित करने वाले लगभग 60 फीसदी कैंसर कंठ, स्तन, गर्भाषय, अंडाषय, योनि और योनिद्वार पर षुरु होते हैं। इस तरह के कैंसर को गायनेकोलॉजिक कैंसर कहते हैं। भारत में इनका पता काफी विलंब से चल पाता है, जिसके कारण इलाज मुष्किल हो जाता है और मरीज के बचने की संभावना भी कम हो जाती है।

डॉ. समीर गुप्ता ने कहा, ‘‘कोई भी दो गायनेकोलॉजिक कैंसर एक से नहीं होते। वो संकेतों, लक्षणों, जोखिम तथा इलाज की रणनीतियों में अलग अलग होते हैं। कुछ तो एकाएक जेंडर म्यूटेषन से विकसित होते हैं, जबकि अन्य वंषानुगत होते हैं। हर महिला को अपने षरीर में पेट में होने वाले परिवर्तनों के बारे में सतर्क रहना चाहिए और इस बारे में जल्द से जल्द डॉक्टर को बताना चाहिए।’’

डॉ. समीर गुप्ता ने कहा, ‘‘हमें महिलाओं को इस बारे में प्रोत्साहित करना होगा कि वो अपने शरीर में पेट में होने वाले परिवर्तनों को पहचानना सीखें और इसकी सूचना शीघ्रता से डॉक्टर को दें। इससे हमें गायनेकोलॉजिक कैंसर की जाँच एवं इलाज में मदद मिलेगी और हम षुरुआती अवस्था में कैंसर का इलाज कर प्रोग्नोसिस को बेहतर बना सकेंगे तथा स्वास्थ्यलाभ भी सुगमता से हो सकेगा। विशेषज्ञ नियमित तौर पर स्क्रीनिंग एवं महिलाओं के यौन रूप से सक्रिय होने से पहले एचपीवी वैक्सीन का परामर्ष देते हैं। ये वैक्सीन ह्यूमन पैपिलोमावाइरस से सुरक्षा प्रदान करती हैं, जो कंठ, योनि एवं योनिद्वार का कैंसर करता है। यह 11 से 12 वर्श की प्रि-टीन अवस्था की लड़कियों के लिए अनशंसित है लेकिन 9 वर्श से 26 वर्श तक की लड़कियों को दी जा सकती है। गायनेकोलॉजिक कैंसर का इलाज कैंसर के प्रकार तथा उसके फैलाव पर निर्भर करता है। इसके इलाज में सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन शामिल है।

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