राज्य कर्मी 1 जुलाई को ज्ञापन भेज महंगाई भत्ते की बहाली की मांग करेंगे, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा बैठक की
राज्य कर्मी 1 जुलाई को ज्ञापन भेज महंगाई भत्ते की बहाली की मांग करेंगे राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा बैठक की
लखनऊ,
महंगाई भत्ते को बहाल करने की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद से जुड़े सभी संघ और जिला शाखाओं द्वारा 1 जुलाई को प्रधानमंत्री जी एवं मुख्यमंत्री जी को ज्ञापन भेजा जाएगा, इप्सेफ द्वारा लिए गए निर्णय के क्रम में इस अभियान की तैयारी हेतु परिषद ने आज हाई कमान की बैठक की ।
आज की वर्चुवल बैठक की अध्यक्षता परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत ने की व बैठक में उपस्थित रहे परिषद के संगठन प्रमुख डॉ के के सचान, वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीश चन्द्र मिश्रा, महामंत्री अतुल मिश्रा,प्रवक्ता अशोक कुमार, प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव, धनन्जय तिवारी, सर्वेश पाटील, आर के पी सिंह, अनिल कुमार, प्रदीप गंगवार, अभय पाण्डेय,राम नरेश यादव, संयुक्त मंत्री आशीष पाण्डेय,संगठन मंत्री जे पी मौर्या, मीडिया प्रभारी सुनील कुमार,कमल श्रीवास्तव, राजेश कुमार चौधरी, सुभाष श्रीवास्तव आदि पदाधिकारी उपस्थित रहे।
परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि देश के कर्मचारी जुलाई माह के पूर्व ही सरकार द्वारा महंगाई भत्ते को बहाल करने की घोषणा का इंतजार कर रहे थे, लेकिन जून माह बीतने के बाद भी अभी तक महंगाई भत्ते की बहाली की घोषणा केंद्र सरकार द्वारा नहीं की गई है, जिससे कर्मचारी बहुत ही दुखी हैं, कर्मचारियों में निराशा के साथ ही रोष व्याप्त हो रहा है । इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के सभी कर्मचारी संगठन 1 जुलाई को महंगाई भत्ते की मांग करते हुए माननीय प्रधानमंत्री जी और मुख्यमंत्री जी का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास करेंगे ।
इस बीच 15 जुलाई तक परिषद के पदाधिकारियोँ द्वारा विकासखंड स्तर से लेकर जनपद मुख्यालय तक के कर्मचारियों से अलग-अलग मुलाकात का कार्यक्रम चलता रहेगा ।
परिषद ने कार्यक्रम के लिए जनपद शाखाओं को दिशा निर्देश भेज दिया है ।
परिषद ने कहा कि इस भीषण महंगाई में कर्मचारी आर्थिक रूप से बहुत परेशान है, महंगाई भत्ता वेतन का हिस्सा है, बढ़ती महंगाई के साथ मूल्य सूचकांक के आधार पर गणना कर कर्मचारियों को महंगाई भत्ता एवं सेवानिवृत्त कर्मियों को महंगाई राहत राशि दी जाती है, अतः इसे रोकने का फैसला ही नीतिविरुद्ध था । सरकार को तत्काल तीनो किस्तों को बहाल कर भुगतान के आदेश देने चाहिए ।
*(अतुल मिश्रा)*
महामंत्री