स्लीप डिस्ऑर्डर का समाधान करने के लिए लखनऊ में मिडलैंड हैल्थकेयर एंड रिसर्च सेंटर और फिलिप्स ने निशुल्क जाँच शिविर लगाया
स्लीप डिस्ऑर्डर का समाधान करने के लिए लखनऊ में मिडलैंड हैल्थकेयर एंड रिसर्च सेंटर और फिलिप्स ने निशुल्क जाँच शिविर लगाया
18 मार्च, 2021।
लखनऊ, उत्तर प्रदेश। वर्ल्ड स्लीप डे 2021 के अवसर पर मिडलैंड हैल्थकेयर एंड रिसर्च सेंटर, लखनऊ ने फिलिप्स इंडिया के सहयोग से आज शहर में स्लीप डिस्ऑर्डर के निदान के लिए निशुल्क जाँच शिविर का आयोजन किया। पिछले कुछ दशकों में जीवनशैली से संबंधित बीमारियों में हो रही वृद्धि के चलते स्लीप डिस्ऑर्डर, जैसे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (ओएसए) या स्लीप एप्निया से पीड़ित लोगों की संख्या स्थिर रूप से बढ़ रही है। ओएसए नींद से संबंधित श्वास की समस्या है, जिसमें नींद के दौरान सांस थम जाती है। इस बीमारी के लक्षण दिन में और रात में अलग होते हैं।
दिन में होने वाले स्लीप एप्निया के लक्षणों में दिन में नींद आते रहना या फिर थकावट रहना, सुबह सरदर्द होना, ध्यान केंद्रित न कर पाना और चिड़चिड़ाहट होना शामिल है। रात में स्लीप एप्निया के लक्षणों में जोर से खर्राटे लेना (जो कमरे से बाहर भी सुनाई दें), बार बार पेशाब आना, गला सूखना और नींद के दौरान हाँफना शामिल हैं।
मिडलैंड हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में डिपार्टमेंट ऑफ स्लीप मेडिसीन के हेड ऑफ डिपार्टमेंट, डॉक्टर बी.पी. सिंह ने कहा, ‘‘नींद की समस्याओं जैसे स्लीप एप्निया के बारे में जानकारी का स्तर मरीज समुदाय में काफी कम है। नींद का हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा असर होता है और यदि स्लीप एप्निया का इलाज न हो, तो इससे हाई ब्लड प्रेशर, अनियंत्रित डायबिटीज़, कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों एवं स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है। हमने इस जाँच शिविर का आयोजन 1) इस बीमारी की जागरुकता बढ़ाने और 2) इन बीमारियों से पीड़ित मरीजों को निशुल्क मेडिकल परामर्श देने के लिए किया है। स्लीप एप्निया का इलाज संभव है और इसे सीपीएपी (कंटीन्युअस पॉज़िटिव एयरवे प्रेशर) थेरेपी एवं बिहैवियोरल थेरेपी से ठीक किया जा सकता है। जिन लोगों ने यह थेरेपी कराई है, उनके स्वास्थ्य एवं जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार देखने को मिला है। इस वर्ल्ड स्लीप डे पर मैं मरीजों एवं फिज़िशियंस से आग्रह करता हूँ कि वो स्लीप को नियंत्रण में लें और स्लीप डिस्ऑर्डर का निदान कराके उसका इलाज कराएं।’’
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (ओएसए) की शिकायत विश्व भर में एक बिलियन लोगों को है, लेकिन ओएसए के 80 प्रतिशत मामलों का निदान नहीं कराया जाता, जिनमें से 51 प्रतिशत ओवरवेट/मोटापापीड़ित हैं और 53 प्रतिशत को गंभीर समस्या जैसे हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़, अस्थमा, दिल की बीमारी एवं स्ट्रोक की समस्या है। (Healio Pulmonology/20190729, sleepapnea.org)।
मिडलैंड हैल्थकेयर एंड रिसर्च सेंटर एक अति आधुनिक एवं विश्वस्तरीय चिकित्सालय है, जहां स्लीप एप्निया की जाँच एवं निदान की सुविधा 5 स्लीप लैब्स द्वारा उपलब्ध है। यह हॉस्पिटल मई 2021 तक अपने मरीजों को सभी स्लीप स्टडीज़ पर 20 प्रतिशत की छूट देने के लिए प्रतिबद्ध है।
स्लीप एवं रेस्पिरेटरी केयर में उद्योग के इनोवेटर के रूप में फिलिप्स क्लिनिकली प्रमाणित समाधानों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है, जो लोगों को अपनी स्लीप हैल्थ को नियंत्रण में लेने में मदद करें।
स्लीप हैल्थ के कुछ आँकड़े
o 35 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उन्हें पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती, जिससे उनका शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
o ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (ओएसए) लगभग 4 प्रतिशत व्यस्क जनसंख्या को प्रभावित करता है। यदि इसका उचित इलाज न हो, तो ओएसए का व्यक्ति की सेहत व स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
o ओएसए से पीड़ित लोगों की सांस नींद के दौरान बार बार रुकती है। ओएसए सांस की ऊपरी नली में रुकावट के कारण होता है। सांस की नली में रुकावट बड़ी जीभ, अतिरिक्त टिश्यू या फिर सांस की नली को खोले रखने वाली मशल टोन का आकार घटने से हो सकती है।
o ओएसए के मरीजों में हर बार सांस 10 सेकंड से लेकर एक मिनट से ज्यादा समय तक रुक सकती है और हर बार सांस रुकने पर ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। यह हर घंटे में 5 बार से लेकर 50 बार या उससे ज्यादा बार हो सकता है। इससे दिल पर बोझ बढ़ता है और स्वास्थ्य की अनेक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं (यूएस डिपार्टमेंट ऑफ हैल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेस, एनआईएच, 2009)।
o रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम स्लीप एप्निया के मरीजों में आम है और यह 3 से 10 प्रतिशत के बीच जनसंख्या को होता है, यद्यपि प्रभावित लोगों की संख्या और बीमारी की गंभीरता में अंतर हो सकता है।
o अमेरिका में किए गए एक अध्ययन का अनुमान है कि अनिद्रा पर होने वाला वार्षिक खर्च 92.5 बिलियन डॉलर से 107.5 बिलियन डॉलर के बीच है।
o नींद से संबंधित दुर्घटनाओं के चलते हर साल 71,000 लोग चोटिल होते हैं।
o नींद से संबंधित दुर्घटनाओं के चलते 1,550 लोगों की मौत होती है।
o नींद में बार बार आने वाली रुकावट के चलते 46 प्रतिशत लोगों का काम या कोई ईवेंट छूट जाती है, काम में त्रुटि होती है, जबकि सेहतमंद नींद लेने वाले केवल 15 प्रतिशत लोगों को यह शिकायत होती है।