उत्तर प्रदेशलखनऊ

पोस्टपार्टम हैमरेज से बचाव करेगा कार्बिटोसिन का सिंगल डोज फॉर्मुलेशन प्रसव के बाद बीस फीसदी महिलाओं की मौतें पोस्टपार्टम हैमरेज से

पोस्टपार्टम हैमरेज से बचाव करेगा कार्बिटोसिन का सिंगल डोज फॉर्मुलेशन
प्रसव के बाद बीस फीसदी महिलाओं की मौतें पोस्टपार्टम हैमरेज से

लखनऊ। ग्लोबल हेल्थकेयर क्षेत्र की एबॅट ने भारत में पोस्टपार्टम हैमरेज (पीपीएच) की रोकथाम में मदद के लिए कमरे के तापमान में स्थिर रहने वाली (रूम-टेम्परेचर-स्टेबल) कार्बाटोसिन के सिंगल डोज फार्मुलेशन को पेश करने की घोषणा की, यह सुविधाजनक वायल्स में मिलती है। पीपीएच का तात्पर्य प्रसव के बाद होने वाले भारी रक्तास्राव से है और यह तब होता है जब बच्चे के जन्म के 24 घंटे के भीतर वैजाइनल डिलीवरी (नॉर्मल डिलीवरी) के बाद 500 एमएल या इससे ज्या्दा खून का नुकसान हो अथवा सीज़ेरियन डिलीवरी के बाद 1000 एमएल या इससे अधिक रक्त का नुकसान होता है। हालांकि, इस बीमारी से बचाव किया जा सकता है, पर देश में बच्चों को जन्म देने वाली करीब 20 फीसदी महिलाओं की मौत के मामले पीपीएच से जुड़े हैं। अगर पीपीएच का इलाज न कराया जाए तो इससे प्रसव के बाद रक्त के बहुत अधिक बहने से महिलाओं में खून की कमी (एनीमिया) जैसी कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इससे मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं बढ़ सकती हैं, जिसमें कई दूसरे मुद्दों के अलावा प्रसव के बाद होने वाला डिप्रेशन, तनाव औऱ मानसिक स्वास्थ्य समस्याशयें भी शामिल हैं। महिलाओं को पीपीएच के लिए अतिरिक्त इलाज की जरूरत पड़ सकती है और इस कारण उन्हें अस्पाताल में अधिक दिन रुकना पड़ सकता है। यही नहीं, पीपीएच से नवजात को स्ता नपान कराने और उनकी देखभाल करने पर भी असर पड़ सकता है। पीपीएच की प्रभावी रोकथाम की जरूरत पर चर्चा करते हुए, एफओजीएसआई की सेफ मदरहूड कमिटी की चेयरपर्सन डॉ. प्रीति कुमार ने कहा, “कम संसाधनों वाली जगहों में ‘स्रोत से उपयोग तक’ कोल्ड चेन का मैंटेनेंस एक चुनौतीपूर्ण काम है, जिसके कारण वांछित परिणाम नहीं मिल पाते हैं। हमारे देश में कई स्वास्थ्यरक्षा प्रदाताओं को यूटेरोटोनिक्स के सही स्टोरेज की जानकारी नहीं है, इसलिये पीपीएच के मामले बढ़ रहे हैं और उसका ठीक से प्रबंधन नहीं होने पर प्रसव के दौरान मौतें और बीमारियाँ बढ़ रही हैं। कम संसाधनों वाली जगहों पर हीट स्टेबल यूटेरोटोनिक का इस्तेमाल प्रसव की तीसरी अवस्था के सक्रिय प्रबंधन में एक बेहतर विकल्प हो सकता है। कार्बिटोसिन इंजेक्शन की सिंगल डोज मरीजों को लगाने में सुविधाजनक है। चूंकि यह वैक्सीन की सिंगल डोज ही दी जाती है। इसे नाड़ियों के अलावा मांसपेशियों में भी लगाने का विकल्प ऑफर किया गया है। यह डिलिवरी के बाद जोखिम के दौर से गुजर रही महिलाओं के अस्पताल में रहने के समय को कम करता है। अभिनव प्रजनन दवाओं एवं मानसिक स्वालस्य्पत में अग्रणी फेरिंग के साथ यह सहयोग जिसे महिलाओं के स्वा”स्य्ी के लिए एबॅट की प्रतिबद्धता के साथ मिलाया गया है, गर्भवती महिलाओं की सेहत सुधारने और डिलीवरी के बाद उनका बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित रखने में राष्ट्र के प्रयासों में एक उल्लेखनीय उपलब्धि प्रस्तुत करता है। भारत में नए फार्म्युलेशन पर टिप्पणी करते हुए एबॅट इंडिया की मेडिकल डायरेक्टर डॉ. श्रीरूपा दास ने कहा, “पांच दशकों से भी अधिक समय तक एबॅट ने गर्भवस्था की अवधि और प्रजनन स्वास्थ्य की देखभाल कर महिलाओं की जिंदगी को बेहतर बनाया है। हमने फेरिंग फार्मास्युटिकल्स के साथ मिलकर कमरे के तापमान पर स्थिर रहने वाली कार्बिटोसिन फॉर्मुलेशन को लॉन्च करने के साथ मातृत्व के समय महिलाओं की बेहतर देखभाल के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है। इससे अपनी जिंदगी बेहतर बनाने में महिलाएं और बच्चे सक्षम बनते हैं। इस फॉर्मुलेशन ने अपना असर साबित कर दिया है। यह एक सुविधाजनक फॉर्मुलेशन है, जो शरीर में गर्मी की जरूरत को स्थिर करता है और उन महिलाओं की सेहत के लिए यह बहुत फायदेमंद है, जिन्होंने हाल में ही नवजात शिशु को जन्म दिया है। पीपीएच के मौजूदा बचाव और इलाज के प्रोटोकॉल में कोल्ड चेन स्टोरेज और वितरण की बेहतर सुविधा की आवश्यकता है। इसके साथ ही शरीर की नाड़ियों में ड्रिप के जरिए दिए जाने वाले इस इंजेक्शन का बेहतर प्रशासन और प्रबंधन करने की जरूरत होती है। जहां यह जरूरतें व्यावहारिक नहीं हैं, वहा गर्भवती महिलाओं की बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच बनाने में रुकावट आ सकती है। कमरे के तापमान पर स्थिर रहने वाला यह फार्म्युलेशन इस डोज के लिए कोल्ड चेन स्टोरेज या ट्रांसपोर्टेशन की चुनौतियों से निपटता है, जिससे हमें अलग-अलग देशों में प्रसव के बाद होने वाले रक्तस्स्राव (पीपीएच) रोकने के इलाज तक महिलाओं की पहुंच का दायरा बढ़ाने में मदद मिली है। स्विट्जरलैंड में स्थित ग्लोबल फार्मास्युटिकल्स कंपनी फेरिंग फार्मास्युटिकल प्राइवेट लिमिटेड इंडिया (फेरिंग) के साथ हुए इन-लाइसेंसिंग और को-मार्केटिंग के समझौते के बाद इस फार्म्युलेशन को प्राइवेट मार्केट में अपने ब्रैंड नेम से लॉन्च किया है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (एनजेईएम) में प्रकाशित सबसे बड़े पीपीएच ट्रायल में भारत समेत 10 देशों की करीब 30 हजार महिलाओं को शामिल किया गया है। इस ट्रायल में संकेत दिया है कि कार्बिटोसन ऑक्सिटोसिन से कम नहीं है, जिसे भारत में कम से कम 500 मिलिलीटर रक्त के नुकसान को रोकने और गर्भाशय में होने वाली अन्य गड़बड़ियों को रोकने के लिए दिया जाता है। (यह तीसरे चरण की गर्भावस्था के सक्रिय प्रबंधन के दौरान प्रसव के बाद होने वाले रक्तस्राव (पीपीएच) से बचाव के लिए है।)

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