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आस पास ‘ होटल व्यवसाय और पर्यटन को फिर से गति देने में सहायक, लेकिन कोविड-19 के पहले की स्थिति के लिए दोनों सेक्टर को करना होगा कुछ और इंतजार: नकुल आनंद

`आस पास ‘ होटल व्यवसाय और पर्यटन को फिर से गति देने में सहायक, लेकिन कोविड-19 के पहले की स्थिति के लिए दोनों सेक्टर को करना होगा कुछ और इंतजार: नकुल आनंद

लखनऊ : भारत में होटल व्यवसाय धीरे-धीरे फिर से गति प्राप्त कर रहा है, लेकिन अभी भी पहले की तरह इस व्यापार में तेजी लाने में हमे एक लंबा रास्ता तय करना है, जिसे हमने 2019 में छोड़ा था। इन दिनों नये पैकेज के कारण ही देश में होटल उद्योग में फिर से सुधार हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र के विश्व पर्यटन संगठन के अनुसार यह सबसे खराब अंतर्राष्ट्रीय संकट रहा है, पर्यटन सेक्टर ने जिसका सामना किया है। क्योंकि 1950 के दशक से अबतक इस सेक्टर में जो रिकॉर्ड्स बना था, एक झटके में इसमें गिरावट आ गयी है। होटल और पर्यटन कोरोना से प्रभावित होने वाला पहला उद्योग था और संभवत: ठीक होने वाला अंतिम होगा। कोलकाता की सुप्रसिद्ध समाजिक संस्था प्रभा खेतान फाउंडेशन और श्री सीमेंट द्वारा संयुक्त रुप से आयोजित एक मुलाकात विशेष के ऑनलाइन सत्र में गुरुग्राम में अहसास महिला की सदस्य सुश्री इना पुरी के साथ बातचीत के दौरान आईटीसी लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक नकुल आनंद ने होटल उद्योग से जुड़ी अपने अनुभवों के आधार पर अपने विचारों को प्रकट किया। सत्र की शुरुआत जयपुर की अहसास महिला की सुश्री अपरा कुच्छल ने किया, इस सत्र में देशभर के विभिन्न कोने से बड़ी संख्या में लोग शामित हुए थे।

श्री आनंद आईटीसी के पर्यटन व्यवसायों का नेतृत्व करते हैं और “लक्जरी सुविधा” के साथ होटल उद्योग में स्थायी उत्कृष्टता की अवधारणा की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं।

श्री आनंद ने कहा, हम होटल उद्योग में फिलहाल ज्यादा अधिक तेजी नहीं देख पा रहे हैं, लेकिन हम निश्चित रूप से यह कह सकते हैं कि इसमें तेजी आने की संभावना दिखनी शुरू हो गयी है। मैं आनेवाले इस बदलाव पर यह कह सकता हूं कि जो लोग लॉकडाउन के कारण अपने प्लान को स्थगित कर चुके थे, वे अब फिर से रुक चुके व्यापार को फिर से गति देने के लिए होटलों का दौरा करने लगे हैं। श्री आनंद के मुताबिक, मैं `आस पास’ पर्यटन पर कह सकता हूं कि हम इसके जरिये काफी ज्यादा अवसर को देख पा रहे हैं।

श्री आनंद को होटल यूएसए पत्रिका द्वारा “कॉर्पोरेट होटेलियर ऑफ द वर्ल्ड 2019” के रूप में सम्मानित किया जा चुका है। श्री आनंद को अंतर्राष्ट्रीय होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशन (आइएच व आरए) की तरफ से “ग्रीन होटलियर” का पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका हैं।

इस सेवा उद्योग में हमारे पास कुछ ऐसा होता है जिसे आप एक अतिथि के साथ बातचीत के दौरान हर बार सच्चाई का क्षण कह सकते हैं। सत्य के ये क्षण अब विश्वास के क्षण बन गए हैं, और विश्वास नई मुद्रा का रुप धारण कर चुकी है। यह विश्वास जो ग्राहकों को स्वच्छता और सुरक्षाप्रदान करता है। अब हमें जो करना है वह यह है कि जिसे मैं स्वच्छता बताना चाहता हूं। वह यह है कि अब मेहमानों की उपस्थिति में दिन के दौरान होटल्स की गतिविधियों को पेश कर सके, जिससे वे देख सकें कि भोजन किस तरीके से बनता और परोसा जाता है। हमें उनके द्वारा अपने प्रति विश्वास को जीतने के लिए दृश्यमान काम करना चाहिये, जिसे हमने पहले कभी नहीं किया। मुझे लगता है कि होटल सेक्टर में यह पहली बार है जब इस तरह की रचनात्मकता और सेवा डिजाइन किए जा रहे हैं, “श्री आनंद ने कहा, उनका परिवार 1978 में आईटीसी में शामिल हुआ, वह अपने परिवार की दूसरी पीढ़ी से हैं।

नकुल आनंद कहते हैं, “यदि आप हरे रंग को नहीं देखना पसंद करते हैं, तो आप लाल देखेंगे”, ‘लक्जरी सुविधा’ और ‘फूड शेरपा’ कार्यक्रम उनके द्वारा विभिन्न स्थायी पहल की शुरुआत की है, जिसके तहत आईटीसी के रसोइये सड़क या स्थानीय भोजन के लिए अपने गंतव्य को तय करते हैं और उनके स्थानीय प्रेम मेनू के हिस्से के रूप में पाँच सितारा के माहौल में ग्राहकों की सेवा करते हैं। श्री आनंद का मानना है कि टिकाऊ प्रथाओं को इस व्यापार दर्शन में अंतर्निहित होना चाहिए।

आईटीसी होटल्स के प्रतिष्ठित कला संग्रह पर टिप्पणी करते हुए श्री आनंद कहते हैं- जिन चीजों को हमने कभी अपनी आंखों से नहीं देखा, इस कला संग्रह के जरिये हमारा प्रमाण उनमें से एक है, जब हम 1975 में इस सेक्टर में आये, उस समय कोई भी आपको भारत में होटल्स सेक्टर में वह आतिथ्य नहीं देता था जैसे हम देते हैं। हम आपको हर रूप में चाहे वह भारतीय भोजन के रूप में हो, संस्कृति के रूप में हो या विरासत के रूप में। इसी खासियत के कारण हमने इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उस समय नमस्ते हमारे होटल का लोगो था और यह अब भी मौजूद है। हमने भारतीय वह व्यंजन बनाए हैं जिससे लोग जायादा परिचित नहीं थे। बिना शोध के हम कभी भी नए व्यंजनों को ग्राहकों के समक्ष नहीं लाते। हमने डम पुख्त, बुखारा पर शोध किया, ये वैसे खाद्य पदार्थ थे जिनका इस्तेमाल कोई नहीं जानता था। इसके बाद हम वैदिक गैस्ट्रोनॉमी में शामिल हो गए और हमे कोलकाता में रॉयल वेगा मिला। इसी तरह कला हमारी विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो आज भी गंतव्य के पहलुओं को जीवंत करती है, इस होटल को यह एक अलग पहचान देती है जहां यह स्थित है।

कोविड-19 महामारी ने हमारे लिए जो आधुनिक चिंताएं जताई हैं, उनमें से कई वास्तव में भारत में पांच हजार साल पहले की हैं। आज हम इम्युनिटी बढ़ाने वाले भोजन की बात करते हैं क्योंकि आज हमारे लिए स्वास्थ्य ही नया धन है। भारतीय भोजन ज्यादा इम्युनिटी पाने का बेहतर साधन है। किसी ने सही कहा है कि ‘भोजन आपकी दवा होना चाहिए, अन्यथा भविष्य में दवा ही आपका भोजन होगी’ और भारत में वास्तव में भोजन हमारी दवा है और हमने मौसम के हिसाब से इसका आनंद लिया है। मुझे लगता है कि भारतीय भोजन पूरे विश्व के लिए एक भविष्य है।

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