उत्तर प्रदेशलखनऊ

यूनिफॉर्म सिविल कोड देश की एकता और अखंडता के खिलाफ: मौलाना सज्जाद नोमानी

यूनिफॉर्म सिविल कोड देश की एकता और अखंडता के खिलाफ: मौलाना सज्जाद नोमानी

यूनिफॉर्म सिविल कोड सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं।

यूसीसी सिर्फ मुसलमानों के खिलाफ नहीं बल्कि बहुसंख्यक समाज को भी प्रभावित करेगा।

सभी देशवासियों को एकजुट होकर इसके खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत

देश की एकता और अखंडता खतरे में पड़ सकती है।

यूनिफॉर्म सिविल कोड चुनावी मुद्दा।

*लखनऊ 07 जुलाई 2023*

यूनिफॉर्म सिविल कोड का मसला चर्चा में है। हमारे देश के ज्यादातर नागरिक ठीक तौर पर यूसीसी को समझ नहीं पा रहे हैं। उन्हें यह नहीं मालूम कि इस कानून को सपोर्ट करें या इसका बायकाट करें। यह तय करना देशवासियों के लिए आसान नहीं है। भारत देश की खूबसूरती अनेकता में एकता है। हमारे यहां अलग-अलग धर्म, परंपराओं और रीति रिवाज पर चलने वाले लोग शामिल हैं, यही भारत को दुनिया में एक विशेष स्थान दिलाता है।

मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के वर्किंग एक्सीक्युटिव कमेटी के मेंबर मौलाना खलीलुर रहमान सज्जाद नोमानी ने अपने बयान में कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के जरिए सभी के रीति रिवाज, परंपराएं को खत्म करके 140 करोड़ भारतीयों के लिए एक कानून और परंपराओं को थोपना है। यह देश की आत्मा के खिलाफ है। जो लोग झूठ बोलने और धोखा देने के माहिर हैं वह यूसीसी को ऐसा मशहूर कहते हैं कि यूसीसी के खिलाफ सिर्फ मुस्लिम समाज है जबकि यह बहुत बड़ा धोखा है।

मौलाना खलीलुर रहमान सज्जाद नोमानी ने देश के बहुजन समाज से निवेदन करते हुए कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का सबसे बड़ा नुकसान आदिवासियों, दलितों, सिखों ईसाईयों, बौद्धों, लिंगायत आदि को होने वाला है। इन सब की अलग-अलग परंपराएं और मान्यताएं हैं और वह अपने आस्था के हिसाब से अपने धर्म का पालन करते हैं। लेकिन यूसीसी कानून आने के बाद यह सब खत्म कर दिया जाएगा।

इसलिए यूनिफॉर्म सिविल कोड का मसला सिर्फ मुसलमानों का नहीं है, यह सभी भारतीय भारतीयों का है। मैं आपसे निवेदन करता हूं कि सच्चाई को समझिए। शोषित समाज के लीडरों से विनती करता हूं कि आप अपने समाज को सच्चाई से अवगत कराएं कि यह कानून सिर्फ मुसलमानों के नहीं बल्कि सभी भारतीयों के खिलाफ है।

देश में प्रोपोगेंडा के तहत की मशहूर किया जा रहा है कि यूसीसी मुसलमानों के खिलाफ है जबकि इस कानून से देश की अखंडता और एकता खतरे में पड़ सकती है। यह मुस्लिम समाज समझ रहा है जबकि दूसरे समुदाय के लोग सच्चाई से मुंह मोड़ रहे हैं। आदिवासियों को तमाम रियायत भारतीय संविधान ने दिया है। उनकी जमीन कोई खरीद नहीं सकता, इसके लिए जिलाधिकारी से विशेष रूप से परमिशन लेनी पड़ती है। यह सबको मालूम है कि आदिवासी क्षेत्रों में खनिज संपदाओं की भरमार है जिन पर देश के बड़े-बड़े पूंजीपतियों की आंखे लगी हुई हैं। इस कानून के जरिए उनकी जमीनों को खरीद कर प्राकृतिक संपदाओं का अंधाधुंध दोहन करके पैसा कमाएंगे।

मौलाना नोमानी ने कहा कि मैं शोषित वर्गों को बताना चाहता हूं कि आप यूसीसी के प्रति जागरूक हों। लॉ कमीशन ने सभी भारतीयों से यूसीसी पर पूछा है इसलिए इसका जवाब सिर्फ मुसलमानों की तरफ से नहीं जाना चाहिए बल्कि सभी को लॉ कमीशन को इसका जवाब भेजना चाहिए। इसके लिए हम लॉ कमीशन के शुक्रगुजार हैं। उन्होंने बताया कि आर्टिकल 44 में लिखा है कि राज्य कोशिश करेगी कि सभी के लिए एक समान कानून बनाए जाएं लेकिन आर्टिकल 44 से पहले भी बहुत सारे आर्टिकल है जैसे आर्टिकल 38 में है कि भारत के नागरिकों की जो आमदनी होगी, उस में बहुत ज्यादा अंतर नहीं होना चाहिए यह राज्य की जिम्मेदारी है। मैं आपलोगों से अपील करता हूं कि आप सभी यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध करें। जो लोग इसके बारे में जानते हों गांव मोहल्ले में जाकर लॉ कमीशन के जरिए जवाब भेजें ताकि देश में एकता अखंडता बनी रहे।

जारीकर्ता:

मौलाना खलीलुर रहमान सज्जाद नोमानी

मेंबर (मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड वर्किंग एक्सीक्युटिव कमेटी)

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