उत्तर प्रदेशलखनऊ

लीवर की देखभाल करने में लापरवाही न बरतें, कोविड से रिकवर होने के बाद लम्बे समय तक फालोअप की जरुरत: डॉक्टर

लीवर की देखभाल करने में लापरवाही न बरतें, कोविड से रिकवर होने के बाद लम्बे समय तक फालोअप की जरुरत: डॉक्टर

20 जनवरी 2021, लखनऊ: सार्स सीओवी-2 फैमिली के वायरस से दूरगामी प्रभाव होते हैं, यह लीवर सिस्टम पर बुरा असर डालते हैं। रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ के डॉ xxx ने ने कहा कि अगर किसी मरीज़ जिसको पहले से ही लीवर की बीमारी थी और कोविड हो जाए तो रिकवरी के बाद उन्हें अपने लीवर का खास ध्यान रखना चाहिए और गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट से कंसल्ट करना चाहिए ।

कई गंभीर कोविड के केसेस में ऐसा देखा गया है मरीज़ को होस्पिटलाइजेशन के दौरान लीवर इंजरी या लीवर फेल हो गया । ऐसे में रिकवरी के बाद भी मरीज का लीवर बहुत कमज़ोर होता है उन्हें लीवर इंजरी या लीवर फेल होने की समस्या का सामना न करना पड़ सकता है ।

कोविड 19 मरीज की लीवर इंजरी होस्पिटलाइजेशन और कॉम्प्लिकेशन के दौरान एपिडेमियोलोजिकल कैरेक्टरस्टिक्स, क्लीनिकिल इंडेक्स, बेसिक बीमारी, लक्षण, और ड्रग ट्रीटमेंट से सम्बंधित हो सकती है। लीवर फंक्शन के संकेतक कार्डियक फंक्शन, रीनल फंक्शन, थायरॉइड फंक्शन, लिपिड मेटाबॉलिज्म, ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म, इम्यून इंडेक्स, ल्यूकोसाइट, एरिथ्रोसाइट, हीमोग्लोबिन और प्लेटलेट संबंधी इंडेक्स से संबंधित होते हैं।

डॉ प्रवीण झा, एमडी, डीएम, कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, रीजेंसी सुपरस्पेसिलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ ने कहा, ‘यह जरूर ध्यान में रखना चाहिए कि लीवर का आसामान्य फंक्शन कोविड-19 मरीजों में घातक हो सकता है। हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद कोविड-19 मरीजों के दीर्घकालिक फालोअप के दौरान लीवर फंक्शन में परिवर्तन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। लीवर फंक्शन को ठीक करने के लिए उचित निदान और उपचार पर जोर दिया जाना चाहिए। कई स्टडी में पता चला है कि कोविड-19 के 2 से 11% मरीज में अंडरलाइंग क्रोनिक लीवर बीमारी थी जैसे कि क्रोनिक हेपाटायटिस बी या हेपाटायटिस सी, नॉन-एल्कोहोलिक फैटी लीवर बीमारी, लीवर सिरोसिस आदि। इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि कोविड-19 से रिकवरी के बाद लीवर की बीमारी के मरीज का उनके डॉक्टर द्वारा फालोअप हो।”

इस दौरान मरीज को अपनी डाईट को लेकर सतर्क रहना चाहिए, डाक्टर द्वारा जो खाने के लिए कहा जाए वही खाना चाहिए। इस दौरान शराब को हाथ भी नहीं लगाना चाहिए। कई कोविड के मरीजों में बुखार और फ्लू जैसे लक्षणों के अलावा गैस्ट्रोइंटेस्टिनल (जीआई) लक्षण जैसे कि डायरिया, उलटी आना और पेट दर्द की समस्या भी देखी गयी।

डॉ प्रवीण झा ने आगे कहा, “कोविड के मरीजों में बुखार न होकर केवल जीआई लक्षण दिखना एक टिपिकल कोविड का केस रहा है। लोग सबसे पहले अपनी समस्या को लेकर जनरल फिजिशियन के पास जाते है, उन्हें यह निर्धारित करना होगा कि क्या ये लक्षण किसी अंडरलाइंग बीमारी के हैं या कोविड -19 के हैं। अगर मरीज कुछ सावधानियों का पालन जैसे कि डोक्टर के साथ रेगुलर फालोअप और अच्छी डाईट का पालन करता है तो तेजी से रिकवर हो सकता है।”

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