वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों से सुरक्षित रखता है डाबर च्यवनप्राश का नियमित सेवन च्यवनप्राश को लेकर डाबर के वैज्ञानिक अध्ययन में सामने आये तथ्य
वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों से सुरक्षित रखता है डाबर च्यवनप्राश का नियमित सेवन
च्यवनप्राश को लेकर डाबर के वैज्ञानिक अध्ययन में सामने आये तथ्यलखनऊ। वायु प्रदूषण के कारण होने वाली फेफड़ों संबंधी बीमारियों से सुरक्षित रखने में डाबर च्यवनप्राश को काफी कारगर पाया गया है। च्यवनप्राश को लेकर किये गये अध्ययन के परिणामों से पता चला हे कि डाबर च्यवनप्राश का नियमित सेवन करने से इन्फेक्शन और पार्टीकुलेट मैटर के कारण फेफड़ों की बीमारियों की संभावना कम हो सकती है। च्यवनप्राश सेहत के लिए खासतौर पर रेस्पीरेटरी सिस्टम के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है। यह शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाकर क्रोनिक रेस्पीरेटरी रोगों जैसे क्षय ट्युबरकुलोसिस में समर्थन देता है। च्यवनप्राश में ऐसी कई जड़ी बूटियां हैं जो सेहत के लिए फायदेमंद हैं और प्राचीनकाल से ही इम्यूनिटी बढ़ाने एवं लम्बी उम्र के लिए इनका उपयोग किया जाता रहा है। डाबर इंडिया लिमिटेड ने अपने प्रीमियम आयुर्वेदिक प्रोडक्ट डाबर च्यवनप्राश पर एक वैज्ञानिक अध्ययन किया है। इस अध्ययन के द्वारा यह जानने की कोशिश की गई कि पार्टीकुलेट मैटर के कारण होने वाली श्वास संबंधी की बीमारियों पर डाबर च्यवनप्राश किस तरह से असरदार है। इन परिणामों के बारे में बात करते हुये राजीव जॉन, वाईस प्रेज़ीडेन्ट मार्केटिंग, डाबर इंडिया लिमिटेड ने कहा बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है और इसकी वजह से लोग कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। आज इम्युनिटी बढ़ाना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो चुका है। 40 से अधिक जड़ी बूटियों जैसे आंवला, अश्वगंधा और गिलोय के गुणों से भरपूर डाबर च्यवनप्राश हमेशा से एलर्जी और इन्फेक्शन से लडऩे के लिए इम्यूनिटी बढ़ाता रहा है। सीपीसीएसई के दिशा निर्देशों को ध्यान में रखते हुए किए गए इस अध्ययन के बाद हमें विश्वास है कि डाबर च्यवनप्राश खासतौर पर शहरी भारत के लोगों को वायू प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों से सुरक्षित रखने में मददगार है। वायू प्रदूषण में पार्टीकुलेट मैटर मुख्य रूप से पाया जाता है, इसमें प्राकृतिक एवं मानवजनित स्रोतों से उत्पन्न होने वाले हानिकारक पदार्थ होते हैं। पार्टीकुलेट मैटर के कणों का आकार 2.5 से10 मिलीमीटर या इससे भी कम हो सकता है । ऐसे में ये लम्बे समय तक हवा में बने रहते हैं और सांस के साथ शरीर के भीतर जाकर फेफड़ों में जमा होने लगते हैं। ये मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। डॉ.जे.एल.एन. शास्त्री, ग्लोबल आर एण्ड डी हैड, डाबर इंडिया लिमिटेड ने कहा इससे पहले भी डाबर ने कई क्लीनिकल और प्रीक्लीनिकल अध्ययन किए हैं जो बताते हैं कि च्यवनप्राश इम्यूनिटी, मौसम में बदलाव के कारण होने वाली बीमारियों, एलर्जी एवं इन्फेक्शन आदि के लिए काफ़ी फायदेमंद है। च्यवनप्राश त्रिदोष, वात, पित्त और कफ को संतुलित बनाने में मदद करता है, जिनका विवरण प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में दिया गया है। यह डेनड्रिटिकसैल्स, एन के सैल्स और मैक्रोफेजेज़ को एक्टिवेट कर जम्र्स से लडऩे में मदद करता है। डाबर हमेशा से आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान के संयोजन के साथ हेल्थ सोल्युशन्स लाता रहा है। इस अध्ययन के परिणाम इम्यूनिटी के लिए च्यवनप्राश के फायदों को दर्शाते हैं।