उत्तर प्रदेशलखनऊ

हज़रत ख्वाजा मोहम्मद नबी रज़ा शाह अलमारूफ दादा मियाॅ र0अ0 के 111वें सालाना उर्स के मौके पर एक आलिमी सेमिनार का आयोजन व किताब सनदुल औलिया का विमोचन

रिपोर्ट- आरिफ़ मुक़ीम

लखनऊ । हज़रत ख्वाजा मोहम्मद नबी रज़ा शाह अलमारूफ दादा मियाॅ र0अ0 के 111वें सालाना उर्स के मौके पर एक आलिमी सेमिनार का आयोजन हुआ जिसका उनवान शाहे रज़ा और गुरवा नवाजी था प्रोग्राम का आगाज़ हाफिज़ ओ कारी जनाब नवाज अहमद सईदी के तिलावते कलामे पाक से हुआ जबकि मनजूम खिराजे अकीदत फजलुर्रहमान मिस्बाही ने पेश किया।

निजामत के फराईज़ हज़रत हाफिज व कारी नवाज अहमद सईदी ने अन्जाम दिये। इस अवसर पर सेमिनार के उनवान शाहे रज़ा और गुरवा नवाजी पर मकाला पेश करते हुये मौलाना डा0 जहाॅगीर हसन मिस्बाही ने हज़रत दादा मियाॅ की जिन्दगी के हवाले से फरमाया कि आपकी जिन्दगी तवाजो से पुर थी और आपकी पूरी जिन्दगी इज्जो इनकिसारी से भरी पड़ी थी, आपने इस्लाम के दर्स को निहायत खुश अख्लाकी के साथ आवाम तक पहुॅचाया, और दुनिया को बता दिया कि इस्लाम के अन्दर जो रवादारी है ये किसी धर्म के अन्दर नहीं है।

मजहबे इस्लाम इन्हीं बुर्जुगांे की मुख्लिसाना जिन्दगी और मज़हबे इस्लाम हुस्ने अख्लाक से फैला है जिसका ख्याल हम और आप नहीं कर सकते हैं। इसका ख्याल यही औलिया की जमात कर सकती है। उन्होंने कहा कि हजरत दादा मियाॅ का जाहिर व बातिन यक्सा था,आप जिससे भी मिलते वो आपका शैदाई हो जाता,आपके खुसूसीयात में यह भी था कि आपके चाहने वालों में से बतौर हादिया जो मिलता वो आप गरीबों में तकसीम कर देते। डा0 वाहिद नज़ीर अस्सिटेण्ट प्रोफेसर जामिया मिलीया देहली ने सेमिनार को सम्बोधित करते हुये कहा बिला तफरीक मजहबो मिल्लत बुजुर्गाे की खानक़ाहें कौमी यकजहती का केन्द्र हैं।

उन्होंने कहा कि इन्सान ज़मीन पर अल्लाह का खलीफा है इस लिए हमें गरीबों और यतीमों की खिदमत करनी चाहिए।क्यॅाकि गरीबों की खिदमत करना भी गुरवा नवाजी है उन्होने कहा कि ज़कात सिर्फ माल ओ दौलत की ही नहीं निकाली जाती है बल्कि शिक्षा और ताकत की भी निकाली जाती है शिक्षा यानि इल्म इसके द्वारा आप दूसरे को फायेदा पहुचाॅ सकते है। ये इल्म की ज़कात है। इसी तरह आप अपनी ताकत से दूसरों की मदद करें ये भी ज़कात का एक हिस्सा है। गुरवा नवाजी का मकाम एक आला मका़म है गुरवा नवाजी ऐसी हो जिसमें नवाजने का हुनर मौजूद हो बिला शक ओ शुबा हज़रत ख्वाजा मोहम्मद नबी रज़ा शाह अलमारूफ दादा मियाॅ इन सब खूबियों के मालिक थे।

गुरवा नवाजी की एक खसलत ये भी है कि गरीबों की मिजाज पुर्सी करें ये भी गुरवा नवाजी का अदना मियार है क्यूकि गरीबों को भी इज्ज़तो इकराम की जरूरत है इस लिए हमें किसी के दिल को ठेस और दिल को तकलीफ नही देनी चाहिए यही बुजर्गों की तालीम है। क्याकि खिदमते खल्क के बगैर कुरबते खुदा का तसव्वुर नहीं किया जा सकता है।

इसके बाद हज़रत फसाहत हसन शाह की जिन्दगी पर आधारित किताब सनदुल औलिया का विमोचन साहिबे सज्जादा हज़रत सबाहत हसन शाह के हाथों अमल में आया, इस अवसर पर विशेष तौर से हज़रत मौलाना मजहरवी,मौलाना शहाबुददीन , कारी ज़रीफ, हज़रत मिस्बाहुल हसन शाह हज़रत फरहत हसन शाह हाफिज हन्नान, कारी इरफान,मोईन अहमद, आरिफ सबाहती, मोहम्मद तारिफ, मोहम्मद उसमान, अब्दुल हफीज, हाजी इशरत फसाहती आदि मौजूद थे।

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