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भाजपा नेता सर्वजीत सिंह के निज आवास पर पांचवे दिन भागवत कथा में गोवर्धन पूजा के साथ हुए छप्पन भोग के दर्शन

भाजपा नेता सर्वजीत सिंह के निज आवास पर पांचवे दिन भागवत कथा में गोवर्धन पूजा के साथ हुए छप्पन भोग के दर्शन


रिपोर्ट अलीम कशिश

रुदौलीl पूर्व ब्लॉक प्रमुख भाजपा नेता सर्वजीत सिंह के निज आवास पूरे वल्दन ग्राम के विशाल प्रांगण में रही श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन कथा व्यास साध्वी अमृतानन्मयी जी ने अपने श्रीमुख से गोवर्धन पूजा की दिव्य कथा विस्तार पूर्वक सुनाई। जिसे सुनकर श्रद्धालु भक्त भाव विभोर हो गए।

कथा व्यास ने बाल कृष्ण की अनेकों बाल लीलाओं का वर्णन करने के पश्चात गोवर्धन पूजा एवं इन्द्र के मान मर्दन की दिव्य कथा विस्तार से सुनाई। इस अवसर पर भगवान गिरिराज जी महाराज के समक्ष सुंदर छप्पन भोग के दर्शन कराये गये। उन्होंने यह भी बताया कि जहां सत्य एवं भक्ति का समन्वय होता है, वहां भगवान का आगमन अवश्य होता है।

गाय की सेवा एवं महत्व को समझाते हुए बताया कि प्रत्येक हिन्दू परिवार में गाय की सेवा अवश्य होनी चाहिए। क्योंकि गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। गाय का दूध अमृत के समान बताया। गोवर्धन भगवान की पूजा सभी भक्तों को आचार्य धनन्जय कुमार मिश्र जी द्वारा विधि विधान से कराई गई।

कथा व्यास ने अपने सुरीले कंठ से संगीत की मधुर स्वर लहरियों पर मैं तो गोवर्धन कूं जाऊं मेरे वीर नांप मानै मेरो मनुवा, श्री गोवर्धन महाराज-महाराज तिहारे माथे मुकुट विराज रयौ आदि अनेकों मनमोहक भजन सुनाकर भक्तों को झूमने एवं नृत्य करने को विवश कर दिया।

अन्त में आरती के पश्चात सभी को छप्पन भोग का दिव्य प्रसाद वितरित कराया गया। सेवा और कथा प्रत्येक वैष्णव को ग्रहण करना चाहिए। धर्म का वास्तविक स्वरूप ढक गया है। धर्म अंतर मन की यात्रा है। भारत विश्व मंगल की कामना करता है, परहित सरिस धर्म नहीं भाई पर पीड़ा सम नहीं अधमाई।

उक्त धर्मोपदेश पुरे वल्दन ग्राम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस चित्रकूट धाम से पधारी साध्वी अमृतानन्मयी जी ने भगवान की बाल लीलाओं, वेणुगीत, श्रीगोवर्धन लीला का रहस्य समझाते हुए कही। प्रांगण में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस पर साध्वी अमृतानन्मयी जी ने गोवर्धन धारण लीला महोत्सव किया।

जिसका उन्होंने बड़ा ही मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया और अध्यात्म भाव बताते हुए कहा कि स्वर्गपुरी में विराजित इंद्र के मान को नष्ट करने के लिए ही भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन धारण लीला कर इंद्र के मान का मर्दन किया। भगवान श्रीकृष्ण किसी का भी अहंकार रहने नहीं देते। कथा में राम नरेश सिंह लालजीत सिंह आदि मौजूद रहे।

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