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गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारियों में बढ़ोत्तरी
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारियों में बढ़ोत्तरी
लखनऊ , 26 फरवरी 2022 : रीजेंसी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ के डॉक्टरों ने आज प्रेस वार्ता में बताया कि कोविड के बाद 40% से ज्यादा रोगी कोविड संक्रमण से उभरने के बाद गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या के लक्षणों को प्रदर्शित कर रहे हैं । श्वसन संबंधी समस्याओं के अलावा महामारी की दूसरी लहर के दौरान गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कॉम्प्लिकेशन आम थीं । कई कोविड से रिकवर हुए मरीज पेट से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे हैं । इसलिए समय पर और पूरी तरह से ठीक होने के लिए लक्षणों की निगरानी करना महत्वपूर्ण है ।
डॉक्टरों ने उचित पाचन स्वास्थ्य की देखभाल की जरुरत पर जोर डाला है। एक नए अध्ययन से पता चला है कि पेट दर्द कोविड -19 ओमिक्रोन वैरियंट के संक्रमण का संभावित संकेत हो सकता है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं अन्य लॉन्ग टर्म कोविड लक्षणों में भी योगदान देती हैं।
रीजेंसी सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ के कंसलटेंट गैस्ट्रोएंटरोलॉजी – डॉ प्रवीन झा , एमडी, डीएम ने कहा,
” आंत के पास सीवियर एक्यूट रिस्पेरेटरी सिंड्रोम कोरोनावायरस 2 रिसेप्टर्स की उपस्थिति होने से कोविड के कारण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम प्रभावित होता है । एक बार जब सीवियर एक्यूट रिस्पेरेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस-2 वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है, तो यह हमारे पाचन तंत्र में मौजूद सभी स्वस्थ कोशिकाओं को नष्ट कर देता है । गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कॉम्प्लिकेशन के कारण ख़राब पाचन तंत्र से गंभीर कोविड इन्फेक्शन होता है । गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण न केवल कोविड-19 के सामान्य संकेत होते है बल्कि यह इस वायरस से उभरनेके बाद मरीज को हफ्ते दर हफ्ते पीड़ा पहुंचाते रहते है । महामारी के तीसरी लहर के बाद हमें ऐसे बहुत सारे केस मिल रहे है । हम कोविड से ठीक हुए मरीजों को सलाह देते हैं कि वे किसी भी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण को नज़रअंदाज़ न करें और कोविड कॉम्प्लिकेशन से बचने के लिए डॉक्टर की मदद लें । कोविड संक्रमित या ठीक हो चुके मरीज को एसिड रिफ्लक्स, भूख न लगना या भूख में बढ़ोत्तरी उल्टी, मतली और दस्त, पेट में ऐंठन, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी सूजन और ब्लीडिंग जैसे लक्षण महसूस होने पर डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए । ”
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं हल्के से गंभीर तक भी हो सकती हैं, इसलिए उचित खानपान का पालन करना महत्वपूर्ण हो जाता है। रीजेंसी सुपरस्पेशिलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ के वरिष्ठ सलाहकार – जीआई सर्जरी, डॉ प्रदीप जोशी एमएस, एम.सीएच , ने आगे इस बारे में कहा, “अच्छी तरह से पका हुआ और संतुलित खानपान का सेवन करें, हाइड्रेटेड रहें और अपने खानपान में प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स शामिल करें। प्रोबायोटिक्स अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो आंत के स्वास्थ्य में सुधार करते हैं। इसके अलावा आप पाचन तंत्र में संतुलन वापस लाने में मदद करने के लिए सप्लीमेंट और ओआरएस साल्ट (नमक) पर विचार कर सकते हैं।”
कोविड से ठीक हुए मरीजों को भी प्रोसेस्ड और तैलीय खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज करने की सलाह दी जाती है। समय पर भोजन करना भी महत्वपूर्ण है और भोजन में प्रोटीन, फाइबर, कुछ कार्ब्स और अन्य महत्वपूर्ण मिनिरल्स शामिल होने चाहिए।
डॉक्टरों ने उचित पाचन स्वास्थ्य की देखभाल की जरुरत पर जोर डाला है। एक नए अध्ययन से पता चला है कि पेट दर्द कोविड -19 ओमिक्रोन वैरियंट के संक्रमण का संभावित संकेत हो सकता है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं अन्य लॉन्ग टर्म कोविड लक्षणों में भी योगदान देती हैं।
रीजेंसी सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ के कंसलटेंट गैस्ट्रोएंटरोलॉजी – डॉ प्रवीन झा , एमडी, डीएम ने कहा,
” आंत के पास सीवियर एक्यूट रिस्पेरेटरी सिंड्रोम कोरोनावायरस 2 रिसेप्टर्स की उपस्थिति होने से कोविड के कारण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम प्रभावित होता है । एक बार जब सीवियर एक्यूट रिस्पेरेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस-2 वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है, तो यह हमारे पाचन तंत्र में मौजूद सभी स्वस्थ कोशिकाओं को नष्ट कर देता है । गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कॉम्प्लिकेशन के कारण ख़राब पाचन तंत्र से गंभीर कोविड इन्फेक्शन होता है । गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण न केवल कोविड-19 के सामान्य संकेत होते है बल्कि यह इस वायरस से उभरनेके बाद मरीज को हफ्ते दर हफ्ते पीड़ा पहुंचाते रहते है । महामारी के तीसरी लहर के बाद हमें ऐसे बहुत सारे केस मिल रहे है । हम कोविड से ठीक हुए मरीजों को सलाह देते हैं कि वे किसी भी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण को नज़रअंदाज़ न करें और कोविड कॉम्प्लिकेशन से बचने के लिए डॉक्टर की मदद लें । कोविड संक्रमित या ठीक हो चुके मरीज को एसिड रिफ्लक्स, भूख न लगना या भूख में बढ़ोत्तरी उल्टी, मतली और दस्त, पेट में ऐंठन, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी सूजन और ब्लीडिंग जैसे लक्षण महसूस होने पर डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए । ”
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं हल्के से गंभीर तक भी हो सकती हैं, इसलिए उचित खानपान का पालन करना महत्वपूर्ण हो जाता है। रीजेंसी सुपरस्पेशिलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ के वरिष्ठ सलाहकार – जीआई सर्जरी, डॉ प्रदीप जोशी एमएस, एम.सीएच , ने आगे इस बारे में कहा, “अच्छी तरह से पका हुआ और संतुलित खानपान का सेवन करें, हाइड्रेटेड रहें और अपने खानपान में प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स शामिल करें। प्रोबायोटिक्स अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो आंत के स्वास्थ्य में सुधार करते हैं। इसके अलावा आप पाचन तंत्र में संतुलन वापस लाने में मदद करने के लिए सप्लीमेंट और ओआरएस साल्ट (नमक) पर विचार कर सकते हैं।”
कोविड से ठीक हुए मरीजों को भी प्रोसेस्ड और तैलीय खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज करने की सलाह दी जाती है। समय पर भोजन करना भी महत्वपूर्ण है और भोजन में प्रोटीन, फाइबर, कुछ कार्ब्स और अन्य महत्वपूर्ण मिनिरल्स शामिल होने चाहिए।