Latest Newsउत्तर प्रदेशलखनऊ

कोविड मरीजों के लिये हर्बल फार्मुलेशन क्लेविरा पेश केन्द्र सरकार के नियामक ने इस फार्मुलेशन को किया प्रमाणित

कोविड मरीजों के लिये हर्बल फार्मुलेशन क्लेविरा पेश
केन्द्र सरकार के नियामक ने इस फार्मुलेशन को किया प्रमाणित

लखनऊ। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच कोविड मरीजों के सहायक इलाज के तौर पर संक्रमण के लक्षणों को हल्के से मध्यम पर लाने के लिये एपेक्स लैबोरेटरी ने एंटीवायरल हर्बल फार्मुलेशन की जांच के बाद क्लेविरा को भारतीय बाजार में उपलब्ध कराया है। इसे फ्रंट लाइन वर्कर और रोगी की देखभाल करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के रोगनिरोधी इलाज के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इस क्लेविरा एंटीवायरल औषधि को भारत सरकार के नियामक ने कोरोना संक्रमण के हल्के से मध्यम सहायक इलाज के लिए

प्रमाणित किया है। प्रारंभिक चरण में क्लेविरा को 2017 में डेंगू के मरीजों के इलाज के लिए विकसित किया गया था। बीते साल जब देश में कोरोना के बढ़ते हुए मरीजों को देखा गया, तो फार्मुलेशन को दोबारा कोविड मरीजों के सहायक इलाज के तौर पर कोविड के लक्षणों को हल्के से मध्यम पर लाने के लिए तैयार किया गया। यह उत्पाद देशभर में हर जगह उपलब्ध है और 11 रुपए प्रति टेबलेट इसका शुल्क रखा गया है। एपेक्स लैबोरेटरी की कार्यपालन निदेशक सुभाषिनी वनांनगौमुदी ने बताया कि क्लेविरा को बनाने के लिए 100 लोगों पर क्लीनिकल परीक्षण किया गया, मई- जून 2020 में किए गए परीक्षण के परिणाम काफी सकारात्मक देखे गए। तमिलनाडू सरकार द्वारा परीक्षण की अनुमति मिलने के बाद चेन्नई के ओमनदूरार सरकारी मेडिकल कॉलेज में किए गए तीस दिन के लिए सौ लोगों का चयन किया गया। सौ लोगों के सैंपल को पचास पचास के दो भाग में विभाजित किया गया। इनमें से एक समूह ऐसा था जिनमें कोविड के कारक एसएआरएस- सीओवीटू की पहचान हो चुकी थी, और सभी का सरकार और विश्व स्वास्थ्य संठगन द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार इलाज किया जा रहा था। कोविड के इलाज के प्रमाणित प्रोटोकाल के साथ ही इस समूह के लोगों को क्लेविरा दो टेबलेट दिन में दो बार खाने के बाद 14 दिन तक दी गई। देखा गया कि क्लेविरा के साथ मरीज के ठीक होने की औसत दर तेज हो गई और 14 दिन में ही आश्यर्चजनक परिणाम देखे गए। यह बदलाव पायरेक्सिया या शरीर के दर्द में कमी, श्वसन दर के सामान्य होने (24/ मिनट से कम) ऑक्सीजन के स्तर में सुधार (94 प्रतिशत से अधिक) आदि के रूप में नोट किया गया। इसके साथ ही यह भी देखा गया कि क्लेविरा के साथ 86 प्रतिशत मरीजों की कोविड19 आरटीपीसीआर जांच पांच दिन में नेगेटिव हो गई और 100 प्रतिशत मरीजों की दसवें दिन कोविड आरटीपीसीआर जांच नेगेटिव देखी गई। कोविड मरीजों में चौथे दिन से ही क्लीनिकल सुधार देखा गया। लेकिन यहां इस बात पर ध्यान देना अति आवश्यक है कि स्वास्थ्य सेवाओं पर मरीजों के बढ़ते बोझ के बीच इस तरह के सहायक इलाज को कैसे लागू किया जाए? इस पर एपेक्स लैबोरेटरी की कार्यपालन निदेशक सुभाषिनी वनांनगौमुदी ने बताया कि कोरोना अनुरूपी व्यवहार का पालन करते हुए सर्पोटिव या सहायक इलाज की मदद से कोविड के मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत को कम किया जा सकता है तथा संक्रमण को हल्के से मध्यम किया जा सकता है। सहायक इलाज की सहायता से इस समय यदि हम एक मरीज की भी आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत को कम कर दें तो यह बहुत होगा, इससे हम अन्य अधिक जरूरतमंद लोगों को बेहतर लिए बेहतर स्वास्थ्य संसाधनों देने का आश्वसन दे पाएगें। क्योंकि कोरोना के खिलाफ जंग के लिए हम सभी को हाथ मिलाना होगा और यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। क्लेविरा के प्रयोग से होने वाले फायदे को बताते हुए एपेक्स लैबोरेटरी के इंटरनेशनल बिजनेस मैनेजर सी अर्थुर पॉल ने कहा कि एंटी वायरल दवा, वायरल लोड को कम करने के साथ ही खून में सफेद रक्त कणिकाएं, प्लेटलेट्स और लिम्फोसाइट्स को तेजी से बढ़ाती हैं, इसलिए हर चरण में मरीज की सेहत में तेजी से सुधार दिखने लगता है। ईएसआर (इथायरोसाइट सेडिमेंटेशन रेट) का स्तर इस बात का प्रमाण है कि दवा के प्रयोग से एंटी इंफ्लेमेटरी असर अधिक हो रहा है। क्लेविरा को एनालजेसिक, एंटीपायरेटिक और थांब्रोबायसोइटोपेनिया को रोकने में प्रभावकारी माना गया है। किडनी और लिवर के मरीज भी इसका प्रयोग अन्य दवाओं के साथ सुरक्षित रूप से कर सकते हैं। क्लेविरा का प्रयोग फ्रंट लाइन वर्कर और कोविड मरीजों की देखभाल करने वाले ऐसे वर्कर भी कर सकते हैं जो संक्रमण क जोखिम के बीच काम करते हैं, वह क्लेविरा को रोग निरोधी इलाज (प्रोफेलेक्टिक) के तौर पर प्रयोग कर सकते हैं। दो साल की अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए क्लेविरा पूरी तरह सुरक्षित है। दवा की उपलब्धता के बारे में एपेक्स लैबोरेटरी प्राइवेट लिमिटेड के मार्केटिंग प्रमुख कार्तिक शंमुगन ने बताया कि दवा देशभर में उपलब्ध है, क्लेविरा एलोपैथी विधि के लिए यह किसी तरह की प्रतियोगी नहीं होगी, बल्कि इसके प्रयोग से कोरोना के मरीज जल्दी ठीक होगें और संक्रमण की वजह से देश में बढ़ रहा सामाजिक आर्थिक बा़ेझ कम होगा। हमने दवा की कीमत को भी आम लोगों की पहुंच के अनुसार ही तय किया है, जिससे समाज के हर वर्ग का व्यक्ति इसे खरीद सकता है, क्लेविरा की हर टेबलेट केवल 11 रुपए की होगी।

दवा के शोध संबंधी परिणाम आईसीएमआर, आयुष मंत्रालय और तमिलनाडू सरकार को वर्ष 2020 में ही सौंप दिए गए थे। मानको के सभी सख्त अनुदेशों का पालन करने के बाद भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा क्लेविरा को हल्के से मध्यम (माइल्ड टू मोडिरेट) कोविड इलाज में सहायक इलाज के तौर पर क्लेविरा के प्रयोग की अनुमति दी गई। यह भारत की पहली ऐसी दवा है जिसे प्रमाणित के कई चरणों को पार किया है इसमें सीसीआरएएस (द सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंस) आईटीआरसी (इंटर डिसीप्लिनरी टेक्नीकल रिवीव कमेटी) और आयुष मंत्रालय द्वारा गठित 12 सदस्यों की एक अन्य कमेटी द्वारा दवा को प्रमाणित किया गया है। इस कमेटी का नेतृत्व एम्स के फार्माकोलॉजी विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ. एसके मलिक द्वारा किया गया। क्लेविरा की सुरक्षा और प्रभावकारिता संबधी की दूसरे चरण का परीक्षण चूहों पर तथा तीसरे चरण का परीक्षण मानवों पर किया गया। क्लेविरा को वायरल संबंधी अन्य बुखार जिनमें खून का थक्का जमने की संभावना होती है के प्रयोग के लिए प्रमाणित किया गया है, क्लेविरा की एंटीवायरल प्रमुखता के साथ ही इसे एनालजेस्टिक, एंटीपायरेट्रिक और खून के थक्के रोकने थांब्रोसाइटोपेनिया के लिए प्रभावकारी माना गया है। क्लेविरा को ओरली दिन में दो बार खाना खाने के बाद 14 दिन तक ले सकते हैं। यह किडनी और लिवर के लिए भी सुरक्षित दवा मानी गई है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Back to top button