सर्दियों में अर्थरायटिस के दर्द का समाधान: इलाज के नए तरीके
सर्दियों में अर्थरायटिस के दर्द का समाधान: इलाज के नए तरीके
लखनऊ, 29 जनवरी 2024 : अर्थरायटिस यानी गठिया व्यक्ति को विकलांग बनाने वाली बीमारी है। इस बीमारी में जोड़ों में सूजन और दर्द होता है, जिससे वजह से पीड़ित व्यक्ति को चलने फिरने में परेशानी होती है। इस बीमारी से दुनिया भर में लाखों लोग पीड़ित है। सर्दियों का मौसम अर्थरायटिस से पीड़ित व्यक्तियों में कई सारी समस्याएं पैदा करता है। क्योंकि सर्दी के मौसम में तापमान में गिरावट आने से जोड़ों में सूजन बढ़ जाती है जिससे जोड़ों में कठोरता, सूजन और थकान होती है। इन समस्याओं के समाधान के लिए मेडिकल एक्सपर्ट्स ऐसे नए ट्रीटमेंट एप्रोच (उपचार दृष्टिकोण) तलाश रहे हैं जो पारंपरिक तरीकों से हट कर हो और ज्यादा कारगर हो।
कार्टिलेज (उपास्थि) में समस्या से उत्पन्न अर्थरायटिस विभिन्न रूपों में प्रकट होता है। प्राइमरी ऑस्टियोअर्थराइटिस और रुमेटीइड अर्थरायटिस गठिया बीमारी का सबसे प्रचलित रूप हैं। अर्थरायटिस के प्रकार और अवस्था के आधार पर लक्षणों की शुरुआत अचानक से हो सकती है या लक्षण धीरे-धीरे नज़र आ सकते हैं। सर्दी होने से अर्थरायटिस के केस और ज्यादा गंभीर हो जाते हैं क्योंकि सर्दियों में रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं और सूजन बढ़ जाती है, जिससे अर्थरायटिस से पीड़ित लोगों के लिए जोड़ों का दर्द ज्यादा परेशानी भरा हो जाता है।
वैसे तो NSAIDs, काउंटरइरिटेंट्स, स्टेरॉयड और DMARDs जैसे इलाज अर्थरायटिस में कारगर साबित हुए हैं, लेकिन मेडिकल रिसर्च में हुई हालिया प्रगति ने इस बीमारी के इलाज में नई आशा प्रदान की है। स्टेम सेल थेरेपी एक ऐसा ही ट्रीटमेंट दृष्टिकोण है जिसमें क्षतिग्रस्त ऊतकों की मरम्मत और प्रभावित जोड़ के अंदर इलाज को बढ़ावा देने के लिए मरीज की स्टेम कोशिकाओं का उपयोग किया जाता है। इन कोशिकाओं में सूजन को कम करने, उपास्थि के विकास को प्रोत्साहित करने और टिश्यू रीजेनरेशन (ऊतक पुनर्जनन) को बढ़ाने की अद्वितीय क्षमता होती है। इसी वजह से यह थेरेपी अर्थरायटिस के इलाज के लिए सबसे ज्यादा समग्र दृष्टिकोण प्रदान करती है।
प्लेटलेट-रिच प्लाज्मा (PRP) थेरेपी अर्थरायटिस के इलाज में बेहतरीन विकल्प है। इसमें मरीज के खून से प्लेटलेट्स को कॉन्सेंट्रेटस किया जाता है और उन्हें प्रभावित जोड़ में वापस इंजेक्ट किया जाता है। ग्रोथ फैक्टर से भरपूर, प्लेटलेट्स ऊतक की मरम्मत और पुनर्जनन में मदद करते हैं, इससे अर्थरायटिस से जुड़े जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए बिना सर्जरी के इलाज कराने का विकल्प प्रदान करते हैं।
ओस्टियोकॉन्ड्रल ऑटोग्राफ्ट ट्रांसप्लांटेशन सर्जरी (OATS) और मैट्रिक्स-इंड्यूस्ड ऑटोलॉगस चोंड्रोसाइट इम्प्लांटेशन (MACI) जैसे सर्जिकल विकल्प लोकलाइज्ड कार्टिलेज क्षति की मरम्मत के लिए मरीज या डोनर के ऊतक का उपयोग करते हैं, जिससे अर्थरायटिस को गंभीर होने से रोका जा सकता है। रिसर्चर्स जीन एडिटिंग और ऑस्टियोआर्थराइटिस में सूजन वाले प्रोटीन को टारगेट करने वाली जीन थेरेपी के लिए CRISPR-Cas9 जैसी अत्याधुनिक तकनीकों की खोज कर रहे हैं।
रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के गोल्ड मेडलिस्ट और प्रमुख आर्थोपेडिक स्पेशलिस्ट डॉ रोहित जैन ने इस बारे में कहा, “अर्थरायटिस के इलाज के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। वर्तमान समय में रिजेनरेटिव मेडिसिन (पुनर्योजी चिकित्सा) में हम जो प्रगति देख रहे हैं वह इस बीमारी के इलाज का बेहतरीन उपाय प्रदान करती है। स्टेम सेल थेरेपी और PRP थेरेपी न केवल लक्षणों से राहत प्रदान करते है बल्कि जोड़ों के नुकसान के मूल कारणों को ख़त्म करने की क्षमता भी प्रदान करते है। हालाँकि इन इनोवेटिव ट्रीटमेंट से लाभ अच्छा मिलता है लेकिन फिर भी रिसर्च, प्रोटोकॉल रिफाइनमेंट पर भी ध्यान देना महत्वपूर्ण है और इन इलाजों को लेकर मानकीकृत पद्धतियाँ की स्थापना अभी हो रही है। जैसे-जैसे हम इस तरह के आशाजनक इलाज के पहलुओं को देख रहे हैं वैसे वैसे हम एक ऐसे भविष्य की कल्पना कर रहे हैं जहां अर्थरायटिस मैनेजमेंट केवल दर्द को कम करने के बारे में नहीं होगा बल्कि व्यापक रूप से मरीज को चलने फिरने के लायक बनाने के बारे में होगा।”
हालांकि इन इलाजों से परिणाम अच्छा मिलता है लेकिन अभी भी अर्थरायटिस इलाज के लिए इस तरह की थेरेपी के लाभों को पूरी तरह से समझने के लिए चल रहे रिसर्च, प्रोटोकॉल रिफाइनमेन्ट और स्टैंडर्डाइजेशन महत्वपूर्ण हैं। चूँकि कोई ‘वन साइज़ फिट्स ऑल सॉल्यूशन’ नहीं है, इसलिए दवाओं, फिजकल थेरेपी और लाइफस्टाइल में बदलाव आदि करने से अक्सर इस तरह की बीमारी में परिणाम अच्छा मिलता है।
अर्थरायटिस की बीमारी से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए सर्दी का मौसम परेशानी भरा नहीं होना चाहिए। कई तरह के नए-नए इलाजों से ऐसी आशा है कि अर्थरायटिस से जूझ रहे व्यक्ति का जोड़ स्वस्थ होगा और उनके जीवन की गुणवत्ता बेहतर होगी।